दिल मेरा ना पहचान सका
दिल मेरा ना पहचान सका
उसको जिसको मै चाहती थी|
दिल की बगिया में फूल समझ
मैं ख़ुशी ख़ुशी इठलाती थी |
चाहत की बगिया सींच कहीं
मै अपनी प्यास बुझाती थी |
दिल मेरा ना पहचान सका
उसको जिसको मै चाहती थी|
उसको जिसको मै चाहती थी|
दिल की बगिया में फूल समझ
मैं ख़ुशी ख़ुशी इठलाती थी |
चाहत की बगिया सींच कहीं
मै अपनी प्यास बुझाती थी |
दिल मेरा ना पहचान सका
उसको जिसको मै चाहती थी|
२००७
दीप्ति शर्मा
Comments
सुन्दर अभिव्यक्ति
चेहरा तो चेहरा है बदला करता है ,दिल में उतर कर दिल कि गहरे देखो ||
http://drashokpriyaranjan.blogspot.com
pasand aayi aapki kavita
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shubh kamnayen
अच्छी पोस्ट-आपको श्रावणी पर्व की हार्दिक बधाई
लांस नायक वेदराम!
रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनाएँ.
aap sab s anurodh hai ki kripya aap apna aashish yuhi banaye rakhiye
dhanyvad
आप चिट्ठा जगत पर अपना ब्लाग जोड़ना चाहती हैं तो http://www.chitthajagat.in पर जायें और इसके साइड बार में 'औजार' नाम के रिक्तस्थान पर अपने ब्लाग का पता डालें, जैसा भी निर्देश मिलता जाये, आप वैसा करें, आपका ब्लाग जुड़ जाएगा ।
This is reality of life which u says through own words....