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Showing posts from September, 2017
किसी की आत्मा के मर जाने से अच्छा उसका खुद मर जाना है क्योंकि इंसानियत रहेगी तभी इंसान भी बचा रहेगा। #दुनिया के फेर में फँसी दीप्ति
मुस्कुरा रही हूँ मैं तभी तुम कहते हो हँस रहा हूँ मैं भी पर ! तुम्हारे हँसने और मेरे मुस्कुराने में बहुत अंतर है, एक स्त्री का मुस्कुराना तुम समझ नहीं सकते। #मन की बात करती दीप्ति
कल खाना बनाते हाथ जला तो यूँ ही कुछ लिखा हाथ का जलना क्रिया हुयी या प्रतिक्रिया ! सोच रही हूँ कढाही में सब्जी पक रही गरम माहौल है पूरी सेंकने की तैयारी आटा गूँथ लिया, लोई मसल बिलने को तैयार पूरियाँ सिक रहीं हैं या यूँ कहूँ जल रही है हाँ मैं उनको गर्म यातना ही तो दे रही फिर हाथ जलना स्वभाविक है अब समझी ये क्रिया नहीं प्रतिक्रिया ही है - दीप्ति शर्मा