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Showing posts from October, 2010

दीवाना

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दीवाना   जिसे हम कहते हैं  दीवाना  सही पर है वो क्या  आखिर क्यूँ ये जमाना  दिल वालो को  दीवाना  कहता है  दीवाने की पहचान है क्या हम किसे दिवाना कहते हैं  दिवाना जिसे हम कहते हैं  दिवाना सही पर है वो क्या  वक़्त वो लम्हा है कौन सा  जब ये दीवाने आते हैं  दिखते कैसे  चलते कैसे  इनकी कुछ पहचान तो दो  कोई आके इस दिल को बताये  की कैसे  ये दीवाने होते हैं दीवाना    जिसे हम कहते हैं  दीवाना  सही पर है वो क्या  ये मैने तब लिखा जब मैं ८ क्लास में थी तब मुझे कविता का मतलब भी ठीक से पता नही था पर जो दिल ने कहा लिख दिया पर आज मैं आप सब को वो जरुर पढाना  चाहूंगी  - दीप्ति 

गम

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जीना है सीखा इस गम से , पीना है सीखा इस गम से , हम हैं गम से  गम हैं हम से | ये जो जिंदगानी है हमसे , और मोहब्बत है तुमसे | खुशिया हैं जो तुमसे  वो डूब गयी मेरे गम से |                                  - दीप्ति 

विजय पर्व

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यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत याद दिलाता है| आज के समय में कितने ही रावण यूँ ही घूमते हैं पर उनका नाश करने में हम भले ही असमर्थ हो पर हृदय में श्री राम को रख उनसे जूझने   का होसला तो ला ही सकते हैं | और बुराई पर जय की विजय की कोशिश तो कर ही सकते हैं |   जय राम जय राम जय जय राम  श्री राम चन्द्र की जय   विजय दशमी की हार्दिक शुभकामनाये 

ऐसा एक संसार बनाऊं

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ऐसा एक संसार बनाऊं , ना हो जहाँ गम का अँधियारा | हर इंसा को मिले जहाँ , कश्ती का हर किनारा , महफ़िलें तो हो बहुत पर, गम का ना नामों निशाँ हो , ऐसा एक संसार बनाऊं , ना हो जहाँ गम का अँधियारा | मुश्किलें मिल जाये कहीं तो , आसाँ हो जाये ये रास्ता तुम्हारा , अरमाँ हो  पूरे दिल के सभी , और खिल जाये मुस्कान से , वो खुशनुमा चेहरा तुम्हारा| ऐसा एक संसार बनाऊं , ना हो जहाँ गम का अँधियारा | - दीप्ति 

बताऊँ मैं कैसे तुझे ?

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वो लम्हे हमें हैं अब याद आते , ना भूले हैं जानम ना भूल पाते , बताऊँ मैं कैसे तुझे ? वो लहरों की कस्ती , वो फूलो की वादी , सितारों की झिलमिल ,   कहाँ खो गयी , बताऊँ मैं कैसे तुझे ? वो चूड़ी की छनछन , वो पायल की खनखन , कहाँ खो गयी , बताऊँ  मैं कैसे तुझे ? वो कोयल की कूंह कूंह ,   वो झरने का झरना ,   रिमझिम सी बारिश,   कहाँ खो गयी , बताऊँ मैं कैसे तुझे ?   फूलों की ख़ुशबू ,   महकता वो आँगन ,   मोहब्बत वो मेरी ,   कहाँ  खो गयी ,   बताऊँ  मैं कैसे तुझे ? - दीप्ति