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Showing posts from July, 2010

अतीत की झलक

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एक बात जो दिल पर कटाक्ष सा व्यवहार करती | उस तीर के सामान चुभती की दर्द उस आह से घबराने लगे जो अतीत के उन झरोखों को याद दिलाये , जिनके याद  आने से रूह भी काँप  जाये | अतीत के उन पन्नो की झलक आज भी याद है | जिसे चाहके  भी ना भुला पाई  | जब वो लम्हे याद आते हैं तो इन आँखों से ये आंसू झरने के समान बहते दिखाए देते हैं, और चेहरा पतझड़ मे मुरझाये उस पेड़  की तरह हो जाता है जिसमे शायद  ही पत्ती नजर आये \रेशमी हवाओ की तरह संजोये हुए वे रेशमी सपने जो मैने सोचे, देखे महसूस किये | क्या सपने भी कभी सच होते हैं बस यही सोच आगे बढ रही हूँ और मंजिल पाने की चाह मे उन बातो को लम्हों को भुलाने की कोशिश मात्र करती हूँ | शायद कभी ऐसा  भी दिन आये जब मे अपनी मंजिल के करीब हूँ और ........................ खेर जो सोचा उसे बिता कल समझकर भूल जाना ही अच्छा है| किसी बात को कबतक कोई जेहन में दबा सकता है समुन्दर मे छिपा मोती भी ढूंढ़ लिया जाता है ये तो इक बात है जिसे दिल मे रखना उसी प्रकार होगा जिस प्रकार पतझड़ मे फूल खिलना , सोचकर मन  कांप जाता है होंटो की लालिमा सहसा ही मुरझा जाती है आँखों का काजल धुल जाता है | बस

मैं ना समझ सकी

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ये कैसा जीवन है, मैं ना समझ सकी | हूँ अपनों के साथ से जिन्दा पर क्यों? उनके रहते तन्हा हूँ ,मैं ना समझ सकी | सब कुछ जान  रही पर खामोश हूँ , हैरान  हो दुनिया के रुख को  देख, अपने ख्वाबो को भी, मैं ना समझ सकी | उलझने ना थमती हैं ना रूकती  हैं , इन उलझनों के भंवर में फंसी, उन अडचनों को भी मैं ना समझ सकी | फिरती हूँ  अपनी आँखों मे आंसू लिए , दुनिया मे क्या कीमत है इन आंसुओ की ये दुनिया मे रह मैं ना समझ सकी | - दीप्ति शर्मा 

क्या ये ही जीवन है?

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जब कभी मैं उदास होती हूँ |मन विचलित होता है इसी गहरी उदासी मे मन करता है कुछ लिखू पर क्या ये समझ मे नही आता | जब अकेली हूँ या कोई दर्द हो कोई अपना रूठ  जाये बात ना करे | जिंदगी मे कई मोके एसे आते हैं जब किसी के साथ कि जरुरत होती है | कभी ऐसा  एहसास होता है सब साथ हैं पर अगले ही पल सब दूर हो जाते हैं | सभी को इस जिंदगी से कुछ ना कुछ शिकायत होती है कोई खुश नही , सभी के दिल में कुछ ना कुछ उलझाने , कई सवाल होते हैं | मेरे भी हैं | जीवन मे हमेशा तन्हाई क्यों मिलती है , हर वक़्त सिर्फ रुसवाई क्यों मिलती है जो मांगो वो पूरा नहीं होता , मन मे हरदम इक द्वन्द रहता है | जब दिल मे गम होते हैं तो अकेले बैठके रो भी नही सकते उसका भी कारण बताना पड़ता है , कही एकांत नहीं जहाँ बैठकर दिल को बहलाया जा सके | दिल कि बाते कहे तो किस से , कौन है सच्चा कौन है झूठा आखिर भरोसा किस पर करें जिस से बात करना चाहो वो कुछ दिन तो ठीक से बात करते हैं फिर ना जाने क्यूँ वो भी मुंह  मोड़ लेते हैं |जब अपना मतलब हो तो साथ रहते है ,मतलब ख़तम तो साथ भी ख़त्म | शायद मुझे ही बात करने का सलीका नही आता इसलिए तो साथी बिछुड़ जाते ह

हम तो यूँ जिया करते हैं

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हम तो यूँ  जिया करते हैं लहरों से लड़ा करते हैं कश्तियाँ भी घबरा जाये हम इस तरह सेलाबो में साहिल से मिला करते हैं हम तो यूँ जिया करते हैं | हरपल  खुश रहकर आकाश कि सोच रख ऊचाई छुआ करते है हम तो यूँ जिया करते है | कदम अपने सम्भाल रास्तो पे चला करते हैं मंजिलो को पाने की हम कोशिशे किया करते हैं हम तो यूँ जिया करते हैं | खुद को रुला अपनी हंसी दुनिया को दे ख़ुशी से अब मस्त रहा करते हैं हम तो यूँ जिया करते हैं | नदी से निकल सागर की गहराई से मिला करते हैं अब हम वक़्त के साथ उम्मीद लिए चला करते हैं हम तो यूँ  जिया  करते हैं | -दीप्ति शर्मा 

स्वार्थी दुनिया

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पंक्षियो  की कौतुहल आवाज़ से मेरी आँख खुली | मौसम सुहावना था | पवन की मंद महक दिवाना बना रही थी | बाहर लॉन मै कई पंक्षी चहक रहे थे मौसम का आनंद लेने के लिए मैने एक चाय बनायीं और पीने लगी | अचानक देखा की कई कुतो ने एक तोते को पकड़ लिया और उसे बड़ी मर्ममय  के साथ मारने लगे | मानो मेरे तो होश उड़  गये मैने पास मै पड़ा एक डंडा उठाया और उन्हें भगाया | वे तोते को वही छोड़कर भाग गए | मैने तोते का इलाज किया उसे पानी पिलाया लेकिन तोता २-३ घंटे से ज्यादा नहीं जी सका | मै उसे नहीं बचा सकी इस बात का बहुत दुःख है | मैने देखा की किस तरह उन कुतो ने अपनी भूख  मिटाने के लिए एक मासूम सुन्दर तोते को मार दिया | और मैने महसूस किया कि इस मतलबी दुनिया मे कुछ लोगो के स्वार्थ को पूर्ण करने के लिए ना जाने कितने मासूमो को अपनी बलि देनी पड़ती है | - दीप्ति शर्मा 

मेरी बातें

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मैने अपनी इस छोटी सी अब तक की जिंदगी मे कई उतार चढाव  देखे है| कई मुश्किल दौर  से गुजरी हूँ . इनसे बस ये समझ आता है की ठोकरे तो हैं रस्ते पर |  वो मंजिल ही क्या जिसमे मुश्किलें ना हो पर मुश्किलें जीतने  को हौसलें की जरुरत होती है और ये हौसला अपनों के साथ से आता है अपने तो हमेशा  ही साथ होते हैं पर फिर भी क्यों खुद को इतना तन्हा, अकेला महसूस करती हूँ ,आखिर क्या चाहती हूँ शायद खुद भी नहीं  जानती  की मेरा दिल क्या चाहता है क्या बात है दिल मे, कोई बात तो है जो मे समझ के भी समझना नही चाहती और खामोश रहकर अपने सवालो के जवाब तलाशती हूँ जो शायद ही पूरे हो, लगता है कहीं ये सवाल , सवाल ही ना रह जाये पर मन भी तो इक जगह स्थिर नही रहता इक सवाल हो तो कोई जवाब मिले पर इन सवालो से ही जिंदगी चलती है  उसे इक बहाना मिलता है आगे बढ़ने  का , कभी लगता है जिन्दगी भी तो अपनी नही है जिन्दगी के दुःख तो अपने है  पर सुख अपने नही वो पराये है और कभी जब मैं  अपनी भावनाओ को भी व्यक्त ना कर पाऊं तो क्या करूँ  ? किस से कहूँ ?     सोचती हूँ  ये जिन्दगी इक आकाश की ही तरह तो है जिसमे भावना रूपी बादल  हमेशा छाये रहते हैं

जिन्दगी

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मेरे अहसासों की उस हवा की महक सी है मेरी हस्ती कोशिश करूँ तमाम पर हिचकोलो से गुजरती हुई चलती है ये मेरी कस्ती तमाम उलझनों से जुझते जिन्दगी की राहों से अनजान ढलती हुई जीवन की मस्ती ख्वाहिशो की अभिलाषा सी सच्चाई तलाशती हुई है चाँद लम्हों की मेरी बस्ती

कोई आया ही नहीं

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जिसे चाहा उसे पाया ही नहीं खुशियाँ  दे जो मुझे हरदम ऐसा कोई दिल मे समाया ही नहीं ये दिल करता रहा इंतजार पर किसी ने कभी मुझे अपना समझकर सताया ही नहीं लगा इक रोज यूँ  जैसे  मुझे मिल गया है कोई अपना पर उसने मुझे अपनाया ही नहीं ऐसा लगता है मुझे ना जाने क्यों जो समझ सके मुझे अपना ऐसा कोई खुदा ने आज तक कायनात मे बनाया ही नहीं  तभी तो आज तक कोई ऐसा मेरी जिन्दगी मे आया ही नही| - दीप्ति शर्मा

तुम

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मेरे गीतों का संगीत हो तुम सुर दिया मेरे स्वरों को जिसने लवो पे छाई कलम से निकली वो मनमुग्ध गजल हो तुम सजदा करूँ जिसे दिल से वही प्यार की कलि हो तुम उम्मीद करूँ जीने की मैं  जिसके हंसी दामन में अरे ऐसी  मेरी हसरत हो तुम जीती हूँ जिसके धडकने से दिल की वही धड़कन हो तुम - दीप्ति शर्मा 

तस्वीर

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मेरी इन बरसती आँखों से, दिल मे ख़ामोशी छाई है  ख़ामोशी में मेने कुछ जानी हुई तमन्नाओ से भरी उसकी इक तस्वीर बनायीं है मेरी आँखों मे वो समायी है जिसकी तस्वीर मेने बनायीं है उसके खिलके मुस्कुराने से उसके इस तरह याद आने से याद कर उसे ही तो मैने ये प्यारी तस्वीर बनायीं है और उस तस्वीर को देख फिर से ये आँख भर आयी है - दीप्ति

याद

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जब ना रहे कोई पास , याद बनके आ जाउगी . आंसुओ के मोतिओ को, यूँ ही झलका जाउगी मुझे किनारे ना मिले, बह गए ये जिंदगी , जीवन के मझधार मे. पर रोशन कर ज़हां, तुम्हारा महका जाउगी. जब ख़ामोशी मे याद कर, आँखों से  आंसू बहाओगे, बनके हवा यूँ पास आ , तुम्हे सहला जाउगी . ना होंगी पास तुम्हारे, पर याद आके तुम्हे, दूर से ही रुला जाउंगी. - दीप्ति