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Showing posts from August, 2011

दिल- ए- एहसास

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                                                         १.आपके चले आने से  दिल को करार आ जाये  जरा मुस्कुरा तो दीजिये  इस महफ़िल में भी  जान आ जाये|                                                                                                         २. कहो ना कुछ पर ये  निगाहें बोल जाती हैं  दिल की बातें निगाहों  से ही की जाती हैं|                                                     ३. आँखों में बसकर  दिल में उतर गये हो  इस तरह तुम हमें  अपना दीवाना कर गये हो| दीप्ति शर्मा 

अन्ना तेरी अगवानी में|

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                                          क्या करूँ मैं व्याख्यान  निरुत्तर हो गयी सरकार अब हो रहा समाधान  अन्ना तेरी अगवानी में| अंहि बन देश के गौरव का  अजब का उत्साह है  हम सब का साहस बढा अन्ना तेरी अगवानी में| अधिप बन शासन किया  फैलाया भ्रष्टाचार सरकार ने  पर अब हो रहा समाधान अन्ना तेरी अगवानी में| अंतस से उठी आवाज़  और है लोगो का साथ  अब हो रहा समाधान अन्ना तेरी अगवानी में| अदबी समाज साथ है कलम उनके हाथ है हौसला बढ रहा हमारा अन्ना तेरी अगवानी में| मुफ्तखोरी बन बहुत खाया  लोगो को खूब नचाया  अब हो जाएँ ये अंतरध्यान अन्ना  तेरी अगवानी में|   - दीप्ति शर्मा 

क्यों?

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                                                      इन हौसलों में आके  भी आँखों में नमी क्यों?  राहें चल रही हैं पर  मंजिल की चाह में है जमीं थमी क्यों? है आँखों में नमीं क्यों? अपनों के साथ भी हूँ मैं अब हरदम  फिर भी न जाने क्यों? है किसी की कमी क्यों?  हैं आँखों में नमी क्यों?  - दीप्ति शर्मा 

मेरी बहन

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                                                   आज बैठी हूँ और  सोच रहीं हूँ तुझे  तुझसे मिलने को मन  करता है और कहता है  आजा मेरी बहन घर सूना है तेरे बगैर | जब खाते थे एक ही थाली में खाना  लड़ना झगड़ना और  रूठ के मान जाना  आजा मेरी बहन घर  सूना है तेरे बगैर | एक्टिवा पर बाज़ार  निकल घूमना पूरे दिन  पर अकेले मन नही  करता अब तो जाने का  आजा मेरी बहन घर  सूना है तेरे बगैर | एक साथ स्कूल जाना  खेलना खाना और पढना हँसना खूब मस्त रहना  अब तू हम सबके पास  आजा मेरी बहन घर  सूना है तेरे बगैर | माँ भी पूछती है  अब कब आयेगी तू   तेरी याद करती है और  हम तारें हैं उनकी आँखों के  कैसे रह पायेगी वो  यूँ दूर हमसे तो अब  आजा मेरी बहन घर  सूना है तेरे बगैर | -दीप्ति शर्मा                                                                 

अनकही बातें

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                                                                         (मेरे नए ब्लॉग पर पहली रचना ) अनकही बातें जो दिल कहे बस कह दीजिये यहाँ दिल में उठे हर ज़ज्बात वो बातें जो कहीं ना हों  बस महसूस की गयी हो  वो अनकही बातें  आँखों के पलछिन में छुपी कुछ आहटें  वो अनकही बातें  उम्मीद सभी की ले  कह गयी मैं यहाँ  वो अनकही बातें | - दीप्ति शर्मा  http://deepti09sharma02.blogspot.com/