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Showing posts from March, 2011

तुम्हारी इजाजत

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                    मस्त अदाओ से सराबोर  तुम्हारी जुल्फ चेहरे से  हटाऊँ क्या तुम्हारी ये इजाजत है  ये सुहाने मौसम की नजाकत है | जाहिल जमाना करे इंकार पर पायलो की झंकार की मोहब्बते दिल में इबादत है ये सुहाने मौसम की नजाकत है | इख़्तियार तेरा जो दिल में है सोच उसे में लुत्फ़  उठाऊँ क्या तुम्हारी ये इजाजत है ये सुहाने मौसम की नजाकत है | चुनरी में छुपे उस चाँद के यहाँ आने की कुछ आहट है सोच तुम्हे चारो दिशाओ में मैं तुम्हारे ही गीत गाऊं क्या तुम्हारी ये इजाजत है ये सुहाने मौसम की नजाकत है | - दीप्ति  शर्मा

ये कैसी जिन्दगी

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मेरी तबियत बहुत दिन से ख़राब है, दिन पर दिन बिगड़ ही रही है कोई सुधर नही लग रहा है, रो रही थी अपनों को देख कर , की कहीं इनसे दूर न हो जाऊ और .....             कभी जिन्दगी यूँ  करवट लेती है  कि लगता है  मेरी जिन्दगी साथ  छोड़ मेरा मुझसे  दूर जा रही है | होंठो पर हंसी रख  नकार दूँ  हर दर्द  कभी कोई विपदा  या अनहोनी घटा  मेरी जिन्दगी साथ  छोड़ मेरा मुझसे  दूर जा रही है | ये जुदा हो रही मुझसे  या मैं जुदा हूँ इससे  नहीं हम एक ही हैं  तभी तो आज , ये मुझे अपने  साथ ले जा रही है  अपनों से दूर कर  हाथ पकड़ मेरा  खुदा से मिलने जा रही है  मेरी जिन्दगी साथ  छोड़ मेरा मुझसे  दूर जा रही है | कमजोर कर दिया  जो आसन हो ले जाना  मुझसे सबसे दूर  अब समझ आया , शायद अलविदा कहना  पड़ेगा मुझे अब सबसे  क्यों कि मेरी ये  जिन्दगी मुझे छोड़ नही  साथ ले दुनिया छोड़ दूर जा रही है  मेरी जिन्दगी मेरे  साथ जा रही है | - दीप्ति शर्मा                                                           

तेरा साथ नहीं

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तन्हा हूँ जहाँ में, अपने तो हैं साथ में  साथ मेरे है वो लम्हा  वो आलम तेरे साथ का  पर तेरा साथ नहीं | याद भी है परछाई भी तेरे आने की आहट भी गुलशन है वो हवा भी वही दिल में हैं जज्बात वही पर तेरा साथ नहीं | जीवन भी यहीं है  है जान वही  जिसको चाहा था तुने कभी  पर तेरा साथ नहीं | न बदल सकी वो फिजाये भी जो तू लाया अपने साथ कभी दिल में है वो प्यार भी जो तुझसे किया मैंने कभी पर तेरा साथ नहीं | -  दीप्ति शर्मा

कैसे बयां करूँ ?

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मैं अपनी भावनाओ को  शब्दों में कैसे बयां करूँ ? शायद कहीं ऐसा ना हो , की कोई मुझे सुने ही ना , और कोई समझे ही ना  वो बात जो सब समझे  ये मैं कैसे पता करूँ ? मैं अपनी भावनाओ को  शब्दों में कैसे बयां करूँ ? दीप्तमान हैं कुछ शब्द लफ्जो पर हर सहर प्रतिबिम्ब बन उन लफ्जो को जो समझ सकें उनका तहे दिल से मैं कैसे शुक्रिया अदा करूँ ? पर जो समझे ही नहीं उनका कैसे पता करूँ ? मैं अपनी भावनाओ को शब्दों में कैसे बयां करूँ ? - दीप्ति शर्मा                                                                                                                    

आपका आशीर्वाद चाहती हूँ

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आज मेरा जन्मदिन है आपका आशीर्वाद चाहती हूँ | रंग बिरंगी दुनिया में अपनी कोई पहचान चाहती हूँ  आपका आशीर्वाद चाहती हूँ | हर राह मे नयी राह बना  संकल्प ले आगे बढना चाहती हूँ  मैं अपनी हर राह में आपका आशीर्वाद चाहती हूँ | सव्छंद गगन में अरमानो को  पंख दे उड़ना चाहती हूँ  हर राग मे कोई गीत गा  उस पेड़ की तरह हरदम  ऊँचाई को छूना चाहती हूँ  आपका आशीर्वाद चाहती हूँ | - दीप्ति शर्मा