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Showing posts from February, 2012

दिल के अहसास

1. हर इक रस्म निभा जाना आसान नहीं, बस सोचना ही आसान होता है । 2. तस्वीरें अहसास कराती हैं अपनों के पास होने का उसकी अहमियत कोई समझे ये जरूरी तो नहीं । 3. दिल जल जाते हैं हाथों को जलाने से क्या होगा गर चाहे वो मुझे तो याद आयेगी उसे मेरे याद दिलाने से क्या होगा । 4. जब नाम दिल पर लिखा हो कागज से मिटाकर क्या पा लोगे हस्ती है मेरे प्यार की रौशन ख़्वाबों में जो तुम मुझे ना पाओ तो ख़्वाब सुनहरे कैसे सजा लोगे ।

क्या मैं अकेली थी

सुनसान सी राह और छाया अँधेरा गिरे हुए पत्ते उड़ती हुयी धूल उस लम्बी राह में मैं अकेली थी । चली जा रही सब कुछ भूले ना कोई निशां ना कोई मंजिल उस अँधेरी राह में मैं अकेली थी । तभी एक मकां दिखा रस्ते में बिन सोचे मैं वहाँ दाखिल हुयी उजाला तो था चिरागों का पर उन चिरागों में मैं अकेली थी । रुकी वहाँ और सोचा मैंने है कोई नहीं यहाँ तो चलूं आगे के रस्ते में फिर निकल पड़ी पर उस रस्ते पर मैं अकेली थी । छोड़ दिया उस मकां का रस्ता देखा बाहर जो मैंने उजाला था राह में लोग खड़े थे मेरे इंतजार में वहाँ ना अँधेरा था ना ही विराना बस था साथ और विश्वास उन सबके साथ उस साये में आकर फिर मैंने सोचा क्या सच में मैं अकेली थी या ये सिर्फ एक पहेली थी । ©.दीप्ति शर्मा

मौत

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भयावह रूप ले वो क्यूँ, इस तरह जिद् पर अड़ी है बड़ी क्रुर दृष्टि से देख रही मुझे देखो मौत मेरे सामने खड़ी है । ये देख खुश हूँ मैं अपनो के साथ जाने क्या सोच रही है कुछ अजीब सी मुद्रा में देखो मौत मेरे सामने खड़ी है । चली जाऊंगी मैं साथ उसके नहीं डर है मुझे उसका फिर क्यों वो संशय में पड़ी है देखो मौत मेरे सामने खड़ी है । कभी गुस्से में झल्ला रही है कभी हौले हौले मुस्कुरा रही है इस तरह मुझे वो फँसा रही है देखो मौत मेरे सामने खड़ी है । देख मेरे अपनों की ताकत और मेरे हौसलों की उड़ान से वो सकपका रही है देखो मौत मुझसे दूर जा पड़ी है । ले जाना चाहती थी साथ मुझे अब वो मुझसे दूर खड़ी है मेरे अपनों के प्यार से वो छोड़ मुझे मुझसे दूर चली है । © दीप्ति शर्मा