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Showing posts from January, 2020
सरहदों के मौसम एक से  बस अलग था तो  मार दिया जाना पंछियों का जो उड़कर उस पार हो लिए रंगनी थी दिवार कि जब तक खून लाल ना हो जमीन भींग ना जाए और हम सोते रहें देर रात जश्न मनाते  शराब पी बे- सूद अपनी औरतों को मारते हम अलग नहीं चौराहे  अलग रंग के अलग शहरों के  घटना एक सी रेप कर दिया चाकू मार दिया हम एक हैं अलग नहीं ये खून हरा है खून बहेगा तबतक जबतक वो लाल नहीं होता मरेगी औरतें, मारेगा आदमी होंगे रेप चलेंगे चाकू आदमी सोच रहा हम हरे खून वाले  जब बहेंगे  तब बहेगा जहर  तो खून लाल कर दो देवता या पानी बना बहा दो सब आ जाने दो प्रलय अब जलमग्न हो जाने पर ही धूल पाएगी दुनिया हम हो पायेंगे इंसान तब ये खून लाल होगा Deepti Sharma