कभी कोई तो होगा, जो सिर्फ मेरा होगा, जिसकी याद सताएगी| और मुझे तडपायेगी | कोई ऐसी घडी तो आएगी जब किसी की सांसे मेरे बिना थम जाएँगी | चाहेगा वो मुझे इतना कि धड़कने उसकी मेरी धड़कने बन जाएगी | - दीप्ति शर्मा ये कविता मैने १० क्लास मे लिखी थी आज आप सब के सामने लिखी है
वो कैसी आह की परछाई हैं मैंने खुद को लहरों मे डुबो, तूफानों से ये कश्ती बचायी है | जिस पर अब तक सम्भल मेरी जिंदगी चली आई है | हैं राहें कश्मकस भरी , अजनबी लोगो में रह किस तरह बात समझ पाई है | मुददत से अकेली हूँ मैं , तमन्नाये जीने की मैने तो ये बाजी खुद ही गंवाई है | वो गैरों के भरोसये शौक में आह में डूब ढलती हुई , फिरती वो मेरी ही परछाई है | - दीप्ति शर्मा
आज मेरा सफ़र एक सीढ़ी चढ़ गया , बहुत कुछ पाया यहाँ रहकर मैंने , कितना कुछ सीखा तो आज इस अवसर पर बस यही कहना चाहती हूँ - आज ब्लॉग आकाश में असंख्य तारों के बीच चाँद सा प्यार दिया मुझे इस ब्लॉग परिवार ने | ...
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