रेखाएँ

हाथ की कुछ रेखाएँ
अब गहरी हो गयी हैं
ना जाने ये
किस बात का अंदेशा है
नये जीवन के आगमन का
या इस जीवन की मुक्ति का

-दीप्ति शर्मा


Comments

Anonymous said…
suruaat hone ko hai

हाथ की लकीरें नहीं हाथ का कर्म ही तगदीर बनता है
डैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
latest post हे ! भारत के मातायों
latest postअनुभूति : क्षणिकाएं
babanpandey said…
अगर सोचे तो हाथ की लकीरें भी बालू पर खिची लकीरें है ... नहीं तो बहुत कुछ .. mere bhi blog par aaye
babanpandey said…
अगर सोचे तो हाथ की लकीरें भी बालू पर खिची लकीरें है ... नहीं तो बहुत कुछ

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