क्यों?

                                                     
इन हौसलों में आके 
भी आँखों में नमी क्यों? 
राहें चल रही हैं पर 
मंजिल की चाह में
है जमीं थमी क्यों?
है आँखों में नमीं क्यों?

अपनों के साथ भी
हूँ मैं अब हरदम 
फिर भी न जाने क्यों?
है किसी की कमी क्यों? 
हैं आँखों में नमी क्यों? 

- दीप्ति शर्मा 

Comments

Anonymous said…
khubsurat rachna
क्यूँ का जवाब बहुत कठिन है ।
बहुत ही बढ़िया कविता।

सादर
न जाने कौन, कब , कैसे मेरी हँसी ले गया..
मैं तो खुली किताब था..मुझको दगा दे गया...
- दीनदयाल शर्मा
kshama said…
Apnon ke saathrahte hue bhee jab aankhon me namee bastee hai,to bada dukh hota hai.
Wishing you a very happy Independence Day!
Kailash Sharma said…
बहुत संवेदनशील प्रस्तुति..
दमदार अभिव्यक्ति।
Anonymous said…
touching poem
मातॄ - भूमि ने तो दिए, तुझे कोटि उपहार।
तू भी अपने सिर चढ़ा, कर्जा कभी उतार॥
I appreciate for your poem...nice... amazing writing .......
शायद कोई कमी ही आंखों में नमी लाती है......अच्छी रचना..शुभकामनाएं
Unknown said…
dipti ji saral,saras rachana,bahut badia yadi duniyan m kyun na hota to jawab bhi naa hote,kyun hone par hi to jawab dhundhe jate hain or vo mil bhi jaten hain ,koyi to dhundhata hi hain .sadhuwad.
नमस्कार....
बहुत ही सुन्दर लेख है आपकी बधाई स्वीकार करें
मैं आपके ब्लाग का फालोवर हूँ क्या आपको नहीं लगता की आपको भी मेरे ब्लाग में आकर अपनी सदस्यता का समावेश करना चाहिए मुझे बहुत प्रसन्नता होगी जब आप मेरे ब्लाग पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराएँगे तो आपकी आगमन की आशा में पलकें बिछाए........
आपका ब्लागर मित्र
नीलकमल वैष्णव "अनिश"

इस लिंक के द्वारा आप मेरे ब्लाग तक पहुँच सकते हैं धन्यवाद्

1- MITRA-MADHUR: ज्ञान की कुंजी ......

2- BINDAAS_BAATEN: व्यंगात्मक क्षणिकाएं......


3- MADHUR VAANI: व्यंगात्मक क्षणिकाएं......
संवेदनशील रचना !
prerna argal said…
बहुत ही भावनाओं से लिखी बहुत ही शानदार रचना /दीप्तिजी आपको बहुत बहुत बधाई /




please visit my blog.http://prernaargal.blogspot.com/
thanks.
Shikha Kaushik said…
गहन भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति .आभार
BLOG PAHELI NO.1

Popular posts from this blog

कोई तो होगा

ख्वाहिश की है |

ब्लॉग की प्रथम वर्षगांठ