दीवाना
दीवाना सही पर है वो क्या
आखिर क्यूँ ये जमाना
दिल वालो को
दीवाना कहता है
दीवाने की पहचान है क्या
हम किसे दिवाना कहते हैं
दिवाना जिसे हम कहते हैं
दिवाना सही पर है वो क्या
वक़्त वो लम्हा है कौन सा
जब ये दीवाने आते हैं
दिखते कैसे चलते कैसे
इनकी कुछ पहचान तो दो
कोई आके इस दिल को बताये
की कैसे ये दीवाने होते हैं
दीवाना जिसे हम कहते हैं
दीवाना जिसे हम कहते हैं
Comments
अक्सर वह अपने भवन की छत पर खडी रोज मुझे निहारती है
मै भी उसकी और इस आस से देखता हु की
आज वह कुछ बोलेगी
दिल में छुपे राज खोलेगी
परन्तु अफ़सोस रोज की ही तरह
सुबह से दोपहर और दोपहर से शाम हो गयी
दिल की बात दिल में ही रह गयी
किन्तु एक आस छोड़ गयी की
कल फिर वह छत पर आएगी
मुझसे नजरे मिलाएगी
मै भी उसकी और इस आस से देखूंगा की
वह आज कुछ बोलेगी
सालो छुपे दिल के राज खोलेगी !.....................
शुक्र है आपने आखिरी में बता दिया क्योंकि पूरी रचना में परिपक्वता की कमी दिख रही थी.........वैसे आप अब इसमें सुधार करके प्रकाशित करती, तो शायद कुछ ज्यादा बेहतर लगता........वैसे अब आप कौन से क्लास में हैं ?????
सच बताऊँ मुझे तो आपकी कविता बहुत अच्छी लगी|
mai kosis karugi ki aage koi galti na ho
aapka dhanyvad
aapka aabhar
mahendra verma ji ,सुधीर ji , UNBEATABLE ji aapka aabhar