बताऊँ मैं कैसे तुझे ?
वो लम्हे हमें हैं अब याद आते ,
ना भूले हैं जानम ना भूल पाते ,
बताऊँ मैं कैसे तुझे ?
वो लहरों की कस्ती ,
वो फूलो की वादी ,
सितारों की झिलमिल ,
कहाँ खो गयी ,
बताऊँ मैं कैसे तुझे ?
वो चूड़ी की छनछन ,
वो पायल की खनखन ,
कहाँ खो गयी ,
बताऊँ मैं कैसे तुझे ?
वो कोयल की कूंह कूंह ,
वो झरने का झरना ,
रिमझिम सी बारिश,
कहाँ खो गयी ,
बताऊँ मैं कैसे तुझे ?
फूलों की ख़ुशबू ,
महकता वो आँगन ,
मोहब्बत वो मेरी ,
कहाँ खो गयी ,
बताऊँ मैं कैसे तुझे ?
- दीप्ति
Comments
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लेखन में नैरन्तर्य बनाये रक्खें.
कुँवर कुसुमेश
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हमें भी पढवाने के लिये हार्दिक धन्यवाद
बहुत देर से पहुँच पाया ........माफी चाहता हूँ..