मेरी बहन
आज बैठी हूँ और
सोच रहीं हूँ तुझे
तुझसे मिलने को मन
करता है और कहता है
आजा मेरी बहन घर
सूना है तेरे बगैर |
जब खाते थे एक
ही थाली में खाना
लड़ना झगड़ना और
रूठ के मान जाना
आजा मेरी बहन घर
सूना है तेरे बगैर |
एक्टिवा पर बाज़ार
निकल घूमना पूरे दिन
पर अकेले मन नही
करता अब तो जाने का
आजा मेरी बहन घर
सूना है तेरे बगैर |
एक साथ स्कूल जाना
खेलना खाना और पढना
हँसना खूब मस्त रहना
अब तू हम सबके पास
आजा मेरी बहन घर
सूना है तेरे बगैर |
माँ भी पूछती है
अब कब आयेगी तू
तेरी याद करती है और
हम तारें हैं उनकी आँखों के
कैसे रह पायेगी वो
यूँ दूर हमसे तो अब
आजा मेरी बहन घर
सूना है तेरे बगैर |
-दीप्ति शर्मा
Comments
shubhkamnaye
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ब्लॉगसमीक्षा की 27वीं कड़ी!
आखिर इस दर्द की दवा क्या है ?
फ्रेंडशिप डे ' की आपको ढेर सारी शुभकामनाएँ ..... |
फ्रेंडशिप डे ' की आपको ढेर सारी शुभकामनाएँ ..... |
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कल 09/08/2011 को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
kamal karte ho
hamare blog par bhi darshan de
bahno ke bina suna to lagta hi ghar...
chahal-pahal jo bani rahti hai.sabka khayal jo rakhti hain..
bahut hi pyaaree rachna...