कैसे बयां करूँ ?
मैं अपनी भावनाओ को
शब्दों में कैसे बयां करूँ ?
शायद कहीं ऐसा ना हो ,
की कोई मुझे सुने ही ना ,
और कोई समझे ही ना
वो बात जो सब समझे
ये मैं कैसे पता करूँ ?
मैं अपनी भावनाओ को
शब्दों में कैसे बयां करूँ ?
दीप्तमान हैं कुछ शब्द
लफ्जो पर हर सहर
प्रतिबिम्ब बन उन
लफ्जो को जो समझ सकें
उनका तहे दिल से मैं
कैसे शुक्रिया अदा करूँ ?
पर जो समझे ही नहीं
उनका कैसे पता करूँ ?
मैं अपनी भावनाओ को
शब्दों में कैसे बयां करूँ ?
- दीप्ति शर्मा
Comments
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति....कुछ न कह कर भी सब कह दिया......शब्द तो सिर्फ सहारा देते हैं......कद्र तो भावनाओ की होती है|
शब्दों में कैसे बयां करूँ ?
sundar rachna dipti ji,
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
अहसास को शब्दों के लिहाफों की जरूरत क्या है.
प्रेम को मंदिर की दीवारों की जरूरत क्या है.
हो सके तो मेरे ब्लॉग पर आकर मेरी रचना "शब्दों से परे" पढ़ जाएँ.
सलाम.
क्या सच में तुम हो???---मिथिलेश
शब्दों में कैसे बयां करूँ ?
शब्द हमेशा कम पड़ते हैं, मन के भाव पलटने को।
sochne par majboor karti kavita
aabhar....
sab sunege ise...
aap safal hai ...
badhai.
shukriya
jai baba banaras...
महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनायें.
www.architpandit.blogspot.com
अच्छा लगा पढ़कर..