डायरी के पन्नें किस्त दूसरी

ताजमहल की यादें कड़ी नं दो
ताजमहल के बारे में लोग सुनते हैं फिर सहसा खींचें आते हैं। ताजमहल के शहर की एक लड़की मुँह पर कपड़ा बाँधें, रेलवे स्टेशन पर किसी का इंतजार कर रही है,हर बार गाडियों के हार्न पर वह चौंक नजरें इधर-उधर घुमा रही, किसी का इंतजार था बेसब्र थी, कई गाड़ियां, चेहरे आये गये हुए और उसकी नजरें एकटक जमा थी पटरियों पर कि जैसे अचानक कोई ट्रेन आयेगी और ....... सोचते हुए एक और हार्न बजा, गाड़ी रूकी, गाड़ी रूकने के साथ धड़कनें बढ़ने लगी, वो शक्स दिख गया और आँखें झुक गयी तभी याद आया चेहरा ढँका है सामने वाला पहचानेगा कैसे?
हाथ हिलाते हुए उसका नाम लेकर बुलाया और ये मुलाकात स्टेशन पर।
सामने बैठे दो शक्स और बात कोई कर नहीं रहा, लड़की बोली ताजमहल चलें?
अब इस बार ताजमहल और ऊँट की सवारी, ऊँट का हिलना दोनों का मिलना।
दोनों बाहों में बाहें डाल घूमते रहे,मुलाकातें कितना रोमांच दे जाती हैं न खासतौर पर जब आप अनजान हों और एक दूसरे को समझ रहें हो,समझ-बूझकर स्टेशन आकर फिर घर लौट आयी।
ताजमहल के शहर की लड़की जिसकी ये मुलाकात भी यादगार रही।
ताजमहल के साथ उसके किस्से भी खूबसूरत होते हैं।
#दीप्तिशर्मा
#डायरीकेपन्नें

Comments

बहुत सुन्दर और जानकारी परक

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