लहरों को देखकर डर जाते हो तुम
आँखें बंद कर सिहर जाते हो तुम
जानते हो डूब जाओगे समन्दर में
तो जानकर भी पास क्यों जाते हो तुम ।
© दीप्ति शर्मा



 

Comments

yashoda Agrawal said…
समंदर
सच में
आँखे बन्द कर
डूबी रहती हूँ
किनारे बैठकर
बहुत खूब ... डूबना गर नियति में है तो क्या करे कोई ... समुन्दर के पास तो उसे आना ही है ...
बहुत ही लाजवाब मुक्तक ...
बहुत सुन्दर ....
:-)
बहुत सुन्दर ....
:-)
Unknown said…
बहुत ही लाजवाब
Unknown said…
बहुत ही लाजवाब
जब तक डूबने का आनन्द न आये, लहरें भी डराती हैं।



वाऽह !
बहुत ख़ूब !

दीप्ति जी बहुत बढ़िया !


amrendra "amar" said…
बेहतरीन अहसास

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