यथार्थ के नीले गगन में 
बह रहें हैं भाव मेरे 
पीर परायी सुन सुनकर 
दिल में उपजे हैं घाव मेरे 
सुनो जरा क्या हुआ है देखो 
तुम बन गये हो हमराज मेरे 
मधुर गीत सुनकर तुम्हारे 
गूँज उठे हैं राग मेरे 
तराशा है खुद को तुम्हारे लिये 
तुम बन गये हो अभिमान मेरे 
©दीप्ति शर्मा
उसने कहा था आज गुलाब का दिन है न गुलाब लेने का  न देने का,  बस गुलाब हो जाने का दिन है आज गुलाब का दिन है उसी दिन गुलाब सी तेरी सीरत से गुलाबी हो गयी मैं । - दीप्ति शर्मा
Comments
विजय दशमी की हार्दिक शुभ कामनाएँ!
अति सुन्दर...
:-)
ஜ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬●ஜ
♥(¯*•๑۩۞۩~*~विजयदशमी (दशहरा) की हार्दिक शुभकामनाएँ!~*~۩۞۩๑•*¯)♥
ஜ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬●ஜ
:-)