creation 10th class
दुनिया की भीड़ से
कोई पुकार कर रहा है
ऐसा लगता है कि हमें
कोई याद कर रहा है
दिल के गुलशन को
आबाद कर रहा है
अकेले हैं दुनिया में
ये जानकर कोई
दरियाफ्त कर रहा है
साहिलों में खड़े हो
कोई लहरों पर हमारा
इंतज़ार कर रहा है ।
© दीप्ति शर्मा
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मेरी परछाई
वो कैसी आह की परछाई हैं मैंने खुद को लहरों मे डुबो, तूफानों से ये कश्ती बचायी है | जिस पर अब तक सम्भल मेरी जिंदगी चली आई है | हैं राहें कश्मकस भरी , अजनबी लोगो में रह किस तरह बात समझ पाई है | मुददत से अकेली हूँ मैं , तमन्नाये जीने की मैने तो ये बाजी खुद ही गंवाई है | वो गैरों के भरोसये शौक में आह में डूब ढलती हुई , फिरती वो मेरी ही परछाई है | - दीप्ति शर्मा
Comments
कोई लहरों पर हमारा
इंतज़ार कर रहा है ।
वाह बहुत खूब