हर लम्हा है तुम्हारा, इसे अपनाकर तो देखो । तन्हा हो कभी तो हमें याद करके दिल में बसाकर तो देखो । हम लगेंगे तुम्हें अपने हमसे ऩजरे मिलाकर तो देखो । याद करो ना करो हम तुम पर मरतें हैं एक बार आज़माकर तो देखो । इस दिल ने तुम्हें चाहा है ये दिल है तुम्हारा इसे अपना बनाकर तो देखो । तुम दिवाने हो जाओगे हमारे बस एक बार हमसे हाथ मिलाकर तो देखो । इधर हाथ बढ़ाकर तो देखो । ,,, " दीप्ति शर्मा "

Comments

Anonymous said…
kya baat h
वाह ... आमंत्रण देती रचना ... बहुत खूब ...
रेखा said…
सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति ..
kshama said…
Bahut sundar rachana hai Deeptee!
बहुत सुन्दर, खुबसूरत...
सुन्दर अभिव्यक्ति.
Anonymous said…
nice lines
romantic
anything special deepti ;)
बहुत खूब लिखा है |
अच्छी प्रस्तुति |
आशा
बेहतरीन भाव।

गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं....

जय हिंद...वंदे मातरम्।
Ramesh Saraswat said…
गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं आपको .... वाह !! दीप्ति क्या खूब लिखा है आपने बहुत ही सुन्दर शब्दों में पिरोकर एक सुन्दर रचना लिख दी है धन्यवाद

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