भ्रष्टाचार आन्दोलन के "साइड इफेक्ट"

 

बहुत सारी भीड़ है | वो देश सुधार और भ्रष्टाचार को मिटाने का आन्दोलन कर रहे हैं , 
सारी सड़के जाम हैं ,
जनता बेहाल है ,
सरकार का बुरा हाल है ,
ये समाधान है या 
कोई व्यवधान है जो 
यहाँ हर कोई परेशान है 

तभी एक एम्बुलेंस दूर से आती है , उस भीड़ में वो फंस  जाती है , मरीज की हालत गंभीर है पर कोई उसे निकलने नही दे रहा है क्यूँ की  वो समाज सेवी है और देश का सुधार कर रहें हैं |

नारें लगा रहें वो देखो 
लोगो का हुजूम बना 
और समाज चला रहे हैं 
वो जो तड़प रहा है अंदर 
देख उसे नजरे झुका रहे हैं 
न ही वो उनका सगा है 
न ही सम्बन्धी है फिर 
क्यों दिखावे में नहा रहें हैं 
तड़प रहा है वो इलाज को 
और देखो ये सब यहाँ 
भ्रष्टाचार मिटा रहे हैं |

बहुत सारी भीड़ इकट्ठी है , सरकार के खिलाफ कुछ हैं जो सच में साथ हैं और कुछ लोग दिमाग से वहा और मन से दफ्तर में हैं , जहाँ कोई आएगा घुस देके जायेगा , वो दलाल है सरकार के जिनके आँखों में हमेशा से ही पट्टी बंधी है |

सरकार के खिलाफ बन खड़ें हैं
हाथों में मशाल लिए अड़े हैं 
दिल से यहाँ पर दिमाग से वहां 
जहा घुस मिल जाएगी 
क्यों जिद कर वो 
दिखावे को पड़े हैं 
घुस खाकर पेट भरता है जिनका 
क्यों वो आम जनता के साथ 
हाथ में हाथ लिए वहा डटे हैं |

 -  दीप्ति शर्मा 


Comments

Anonymous said…
its true
हर पहलू के दो पक्ष हैं।
अच्छा.............बहुत अच्छा लिखा है...........!!!
कोई तड़प रहा है इलाज़ को और ये भ्रष्टाचार मिटा रहे हैं...
सही कहा है आपने...
KUNWAR PREETAM said…
मौजूदा हालात पर सटीक प्रहार. बात कहने का अंदाज भी निराला.अच्छा प्रस्तुतीकरण. बधाई दीप्ति जी
kshama said…
Sabhee taraf dikhava hee dikhava hai!
बहुत सुंदर विचारों द्वारा की गई अभिव्यक्ति
नहीं ,यदि आपका ईशारा पिछले दिनों हुए जनांदोलन से है तो मैं सहमत नहीं हूं ,क्योंकि यही एक ऐसा आंदोलन रहा जो स्वअनुशासित रहा ,हजारों की भीड ने शांति मार्च किया ,पै्द्ल मार्च किया ,लेकिन कहीं किसी को कोई दिक्कत नहीं हुई , ये उन राजनीतिक रैलियों के उन्माद से बहुत अलग दिखा , कम से कम दिल्ली में तो यही देखा महसूस किया मैंने
Unknown said…
सार्थक और सटीक
बेहतरीन अंदाज में तस्‍वीर के दूसरे पहलू का चित्रण।
सच में हर सुधार और आंदोलन के किए जाने वाले आंदोलन-चक्‍काजाम का एक पहलू यह भी होता है पर शायद ही किसी आंदोलनकारी को इस पर रहम आया हो....
Anonymous said…
nice one deepti
Anonymous said…
कोई तड़प रहा है इलाज़ को और ये भ्रष्टाचार मिटा रहे हैं...
सही कहा है आपने...
ARIHANT JAIN said…
अजय कुमार झा जी यहां सिर्फ़ दिल्ली की बात नहीं हो रही है पुरे देश की स्थिति बतायी गयी हैं यहां, दीप्ति बहुत सुन्दर लिखा है आपने, मेरी शुभकामनाएं सदैव आपके साथ हैं।
Anonymous said…
डीयर दीप्ति शर्मा जी .....बहुत शायरी पढ़ी और बहुत कविताओं का रसपान किया ....लेकिन जो स्पर्श की प्यास यहाँ आकर बुझी लगा ज़िन्दगी मिली दोबारा ...एक नया अहसास और खुमार दिलो दिमाग पर तारी हुआ ...शब्दों में बयान कर सकते है लेकिन मुझे नहीं पसंद कि मेरे जज्बात और मेरी यादों के साए पर भी किसी के कदम पड़ें क्योंकि यही है मेरे जीवन भर की जमा पूँजी है ......

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