अतीत की झलक

एक बात जो दिल पर कटाक्ष सा व्यवहार करती | उस तीर के सामान चुभती की दर्द उस आह से घबराने लगे जो अतीत के उन झरोखों को याद दिलाये , जिनके याद आने से रूह भी काँप जाये | अतीत के उन पन्नो की झलक आज भी याद है | जिसे चाहके भी ना भुला पाई | जब वो लम्हे याद आते हैं तो इन आँखों से ये आंसू झरने के समान बहते दिखाए देते हैं, और चेहरा पतझड़ मे मुरझाये उस पेड़ की तरह हो जाता है जिसमे शायद ही पत्ती नजर आये \रेशमी हवाओ की तरह संजोये हुए वे रेशमी सपने जो मैने सोचे, देखे महसूस किये | क्या सपने भी कभी सच होते हैं बस यही सोच आगे बढ रही हूँ और मंजिल पाने की चाह मे उन बातो को लम्हों को भुलाने की कोशिश मात्र करती हूँ | शायद कभी ऐसा भी दिन आये जब मे अपनी मंजिल के करीब हूँ और ........................ खेर जो सोचा उसे बिता कल समझकर भूल जाना ही अच्छा है| किसी बात को कबतक कोई जेहन में दबा सकता है समुन्दर मे छिपा मोती भी ढूंढ़ लिया जाता है ये तो इक बात है जिसे दिल मे रखना उसी प्रकार होगा जिस प्रकार पतझड़ मे फूल खिलना , सोचकर मन कांप जाता है होंटो की लालिमा सहसा ही मुरझा ...