दहलीज जो पार की,
मुड़कर नहीं देखा पीछे
पर दहलीज ताकती रही
अपनों को तलाशती रही
कि कोई आएगा अपना लौटकर
इस पार
#दहलीज का दर्द
#बसयूँही
#दीप्तिशर्मा
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ख्वाहिश की है |
रौशन जहाँ की ही ख्वाहिश की है मैंने अपने दिल की झूठे बाज़ार में सच्चाई के साथ आजमाइश की है | मालूम है बस फरेब है यहाँ तो फिर क्यों मैंने सपन भर आँखों में अपने उसूलों की नुमाइश की है | जब मेरी जिन्दगी मेरी नहीं तो क्यों? ख्वाब ले जीने की गुंजाइश की है | कुछ जज्बात हैं मेरे इस दिल के उनको समझ खुदा से मैंने बस कुछ खुशियों की फरमाइश की है | मैनें तो बस कुछ लम्हों के लिए रौशन जहाँ की ख्वाहिश की है | - दीप्ति शर्मा
ब्लॉग की प्रथम वर्षगांठ
आज मेरा सफ़र एक सीढ़ी चढ़ गया , बहुत कुछ पाया यहाँ रहकर मैंने , कितना कुछ सीखा तो आज इस अवसर पर बस यही कहना चाहती हूँ - आज ब्लॉग आकाश में असंख्य तारों के बीच चाँद सा प्यार दिया मुझे इस ब्लॉग परिवार ने | हर सुख दुःख में साथ निभाया है और बहुत कुछ सिखाया है इस ब्लॉग परिवार ने | एक साल गुजर गया पर यूँ लगता है जैसे सदियाँ बीत गयी हो आप सब का साथ पाकर | लगते हैं यहाँ सब अपने नही यहाँ गैर कोई बहुत सा प्यार दिया इस ब्लॉग परिवार ने | गलतियाँ जब हुई उचित मार्गदर्शन कर सही राह दिखाई इस ब्लॉग परिवार ने| जफ़र पथ पर चलकर मैं अब साथ चाहती हूँ हरदम आशीर्वाद चाहती हूँ इस ब्लॉग परिवार से | छोटो का स्नेह मिले बड़ों का आशीष बस इतना अधिकार चाहती हूँ इस ब्लॉग परिवार से | - दीप्ति शर्मा
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