नयन

वरालि सी हो चाँदनी
लज्जा की व्याकुलता हो
तेरे उभरे नयनों में ।
प्रिय विरह में व्याकुल
क्यों जल भर आये?
तेरे उभरे नयनों में ।
संचित कर हर प्रेम भाव
प्रिय मिलन की आस है
तेरे उभरे नयनों में ।
गहरी मन की वेदना
छुपी बातों की झलक दिखे
तेरे उभरे नयनों में ।
वनिता बन प्रियतम की
प्रिय के नयन समा जायें
तेरे उभरे नयनों में ।
© दीप्ति शर्मा

Comments

एक तड़प ...विरह की व्यथा ..
वाह सुन्दर रचना बहुत खूब
mridula pradhan said…
haan....lazza zaruri hai......
Nityanand Gayen said…
छू लिया है इस रचना ने ...वाह
Pankaj Pandey said…
wah... uttam shabd sanyojan... sundar rachna... :)
Pankaj Pandey said…
wah... uttam shabd sanyojan... sundar rachna... :)
Pankaj Pandey said…
wah... uttam shabd sanyojan... sundar rachna... :)
विरह अग्नि को दर्शाती सुन्दर रचना
ZEAL said…
waah !..Great creation !
Unknown said…
नयनों पर सुंदर रचना | बेहतरीन अभिव्यक्ति |
मेरी नई पोस्ट:-
करुण पुकार
बहुत सुन्दर भावप्रणव अभिव्यक्ति! सुप्रभात!
विरह और उम्मीद की खूबसूरत कड़ी
girish pankaj said…
भविष्य मे और सुन्दर कविता आये , यही शुभकामनाये .
***Punam*** said…
सुन्दर भाव....
किसी के दिल में...
नैनों में समाने की आतुरता....!
अति सुंदर रचना....
kirti said…
आप की कविताएं पढ़ीं. इनमें विरह वेदना है. शब्द श्रृंगार भी है और प्रकृति, पर्यावरण के निरंतर बिगड़ते असंतुलन को लेकर बैचेनी भी है. निरंतर लिखती रहे, कोई तारीफ़ करे ना करे, आलोचना करे तो उसे सीखने-समझने के अंदाज में ले...बस लिखती रहें...आप का लेखन खुद लोगो को आपसे जोड़ेगा....मेरी यही शुभ भावनाएं...
कीर्ति राणा +91 90090-00343
Saras said…
नयनों की भाषा बहुत सुन्दर लगी ...सब कुछ कह डाला ....दीप्ति
Nityanand Gayen said…
बहुत सुंदर कविता
Unknown said…
Sundar prastuti hai dipti ji...badhaai.
प्रिय दीप्ती ,

सुंदर भाव ...अभिव्यक्ति .
गीत विधा में लिखने का
प्रयास सराहनीय है ....!!

सतीश शर्मा
प्रिय दीप्ती ,

सुंदर भाव ...अभिव्यक्ति .
गीत विधा में लिखने का
प्रयास सराहनीय है ....!!

सतीश शर्मा

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