तू हो गयी है कितनी पराई ।

अथाह मन की गहराई
और मन में उठी वो बातें
हर तरफ है सन्नाटा
और ख़ामोश लफ़्ज़ों में
कही मेरी कोई बात
किसी ने भी समझ नहीं पायी
कानों में गूँज रही उस
इक अजीब सी आवाज़ से
तू हो गयी है कितनी पराई ।

अब शहनाई की वो गूँज
देती है हर वक्त सुनाई
तभी तो दुल्हन बनी तेरी
वो धुँधली परछाईं
अब हर जगह मुझे
देने लगी है दिखाई
कानों में गूँज रही उस
इक अजीब सी आवाज़ से
तू हो गयी है कितनी पराई ।

पर दिल में इक कसर
उभर कर है आई
इंतज़ार में अब भी तेरे
मेरी ये आँखें हैं पथराई
बाट तकते तेरी अब
बोझिल आहें देती हैं दुहाई
पर तुझे नहीं दी अब तक
मेरी धड़कनें भी सुनाई
कानों में गूँज रही उस
इक अजीब सी आवाज़ से
तू हो गयी है कितनी पराई ।

© दीप्ति शर्मा

Comments

सदा said…
मन को छूते हुए भाव रचना के भाव ...

कल 23/05/2012 को आपकी इस पोस्‍ट को नयी पुरानी हलचल पर लिंक किया जा रहा हैं.

आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!


... तू हो गई है कितनी पराई ...
स्नेह सिक्त भाव ...
बेहतरीन लिखी हैं दीप्ति जी।

सादर
Brijendra Singh said…
सुंदर प्रस्तुति दीप्ति जी !!
सुज्ञ said…
कोमल भावों का गुलदस्ता
कोमल भावो से युक्त बहुत ही सुन्दर और बेहतरीन रचना...
कोमल भावो से युक्त बहुत ही सुन्दर और बेहतरीन रचना...
मन में बसी यादोँ ..के गहरे अहसास !
यादोँ के भवर ऐसे ही उठते हैं ......
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति,बेहतरीन अहसास ,

MY RECENT POST,,,,,काव्यान्जलि,,,,,सुनहरा कल,,,,,
Anjani Kumar said…
मृ्दु भावों को बहुत ही सुन्दर शब्दों में ढाला है आपने
आभार
बहुत बहुत सुंदर.......

अनु

Popular posts from this blog

कोई तो होगा

ब्लॉग की प्रथम वर्षगांठ

मेरी परछाई