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ब्लॉग की प्रथम वर्षगांठ
आज मेरा सफ़र एक सीढ़ी चढ़ गया , बहुत कुछ पाया यहाँ रहकर मैंने , कितना कुछ सीखा तो आज इस अवसर पर बस यही कहना चाहती हूँ - आज ब्लॉग आकाश में असंख्य तारों के बीच चाँद सा प्यार दिया मुझे इस ब्लॉग परिवार ने | हर सुख दुःख में साथ निभाया है और बहुत कुछ सिखाया है इस ब्लॉग परिवार ने | एक साल गुजर गया पर यूँ लगता है जैसे सदियाँ बीत गयी हो आप सब का साथ पाकर | लगते हैं यहाँ सब अपने नही यहाँ गैर कोई बहुत सा प्यार दिया इस ब्लॉग परिवार ने | गलतियाँ जब हुई उचित मार्गदर्शन कर सही राह दिखाई इस ब्लॉग परिवार ने| जफ़र पथ पर चलकर मैं अब साथ चाहती हूँ हरदम आशीर्वाद चाहती हूँ इस ब्लॉग परिवार से | छोटो का स्नेह मिले बड़ों का आशीष बस इतना अधिकार चाहती हूँ इस ब्लॉग परिवार से | - दीप्ति शर्मा
मेरी परछाई
वो कैसी आह की परछाई हैं मैंने खुद को लहरों मे डुबो, तूफानों से ये कश्ती बचायी है | जिस पर अब तक सम्भल मेरी जिंदगी चली आई है | हैं राहें कश्मकस भरी , अजनबी लोगो में रह किस तरह बात समझ पाई है | मुददत से अकेली हूँ मैं , तमन्नाये जीने की मैने तो ये बाजी खुद ही गंवाई है | वो गैरों के भरोसये शौक में आह में डूब ढलती हुई , फिरती वो मेरी ही परछाई है | - दीप्ति शर्मा
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सादर
एक और सुन्दर कविता आपकी कलम से !
मेरे ब्लॉग में भी पधारें |
**मेरी कविता**
तृप्ति हूँ या प्यास हूँ .
टूटी हुई आस -या
खोया हुआ विश्वाश हूँ .
भोर का कलरव- या मौन हूँ मैं
दसों दिशाएं पूंछती हैं -मुझसे
ना जाने कौन हूँ मैं .
कृपया फालोवर बनकर उत्साह वर्धन कीजिये
बहुत ही सुंदर और गहन सोच को उजागर करती हुई बेमिसाल रचना /बहुत बधाई आपको /
मेरी नई पोस्ट हिंदी दिवस पर लिखी पर आपका स्वागत है /
http://prernaargal.blogspot.com/2011/09/ke.html/ आभार/