खता नहीं है |


हर इन्सान में  ज़ज्बा है
सच बोलने का फिर भी 
वो झूठ से बचा नहीं है |

पहना है हर चेहरे ने 
एक नया चेहरा 
और जीता है जिन्दगी  
जब वो  बोझ समझ पर ,
जिन्दगी उसकी सजा नहीं है 
वो झूठ से बचा नहीं है |


खुद को पहचान वो 
चलता है उन रास्तो पर 
जहाँ खुद को जानने की
उसकी कोई रजा नहीं है 
वो झूठ से बचा नहीं है| 

कहता तो है हर बात 
बड़ी ही सच्चाई से पर 
नजरें कहती है उसकी 
कि उसके पास सच बोलने 
 की कोई वजह नहीं है 
इसलिए ही तो वो
 झूठ से बचा नहीं है |
इसमें उसकी खता नहीं है |
- दीप्ति  शर्मा 

Comments

Anonymous said…
very nice
ashish said…
हर इन्सान में जज्बा है
सच बोलने का फिर भी
वो झूठ से बचा नहीं है |

एकदम सौ फीसदी बात , सुन्दर रचना
सुन्दर अभिव्यक्ति
हर इन्सान में जज्बा है
सच बोलने का फिर भी
वो झूठ से बचा नहीं है |

सुन्दर रचना ke liye bahut bahut badhai dipti ji
Kunwar Kusumesh said…
बढ़िया है,बढ़िया है,
Dr Varsha Singh said…
भावनाओं का बहुत सुंदर चित्रण . ...बधाई.
Anonymous said…
आप को भारतीय नववेर्ष की हार्दिक बधाई
सत्य और झूठ

आदमी की मुस्किल

बहुत ही बढ़िया

आप की तबियत कैसे है ?
सटीक पंक्तियाँ।
बहुत बढ़िया.
बहुत सुन्दर कविता..दिप्ति...कविता का सबसे बडा है..कविता का आसानी से श्रोता के जहन मे उतर जाना....वो गुण इसमे मौजुद है...बधाई..
बहुत बढ़िया पोस्ट!
दिन मैं सूरज गायब हो सकता है

रोशनी नही

दिल टू सटकता है

दोस्ती नही

आप टिप्पणी करना भूल सकते हो

हम नही

हम से टॉस कोई भी जीत सकता है

पर मैच नही

चक दे इंडिया हम ही जीत गए

भारत के विश्व चैम्पियन बनने पर आप सबको ढेरों बधाइयाँ और आपको एवं आपके परिवार को हिंदी नया साल(नवसंवत्सर२०६८ )की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ!

आपका स्वागत है
"गौ ह्त्या के चंद कारण और हमारे जीवन में भूमिका!"
और
121 करोड़ हिंदुस्तानियों का सपना पूरा हो गया

संदेश जरुर दे!
आपको नवसंवत्सर २०६८ की शुभकामनाएं, बहुत-बहुत शुभकामनाएँ !
जीवन सन्दर्भों को बहुत गहरे शब्दों में उजागर किया है आपने ....आपका आभार
Anonymous said…
दीप्ति,

इस पोस्ट के लिए....वाह....वाह....शानदार, बेहतरीन.....प्रशंसनीय|
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 05 - 04 - 2011
को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..

http://charchamanch.blogspot.com/
Kunwar Kusumesh said…
नव-संवत्सर और विश्व-कप दोनो की हार्दिक बधाई .
Shah Nawaz said…
बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति.. दिल की गहराइयों से लिखा हुआ लगता है.
Anonymous said…
Bahut badiya Dipti G
Udan Tashtari said…
ख़ूबसूरत रचना
बढ़िया है ,बधाई
सदा said…
बेहतरीन शब्‍द रचना ।
Sach hai aaj koi apne aap ko dekhna nahi chaahta ...
दीप्ति आप ने बहुत सुन्दर लिखा आज कि मांग ही यही है, साहित्य में आधुनिक काल को गद्य काल कि संज्ञा दी गयी है और गद्य काल कि मांग ही यही है, कि समाज के ज्वलंत समस्याओं को साहित्य में लाना ही समय कि मांग है |
सुन्दर प्रयास
बहुत - बहुत शुभकामना
shikha varshney said…
सच्ची रचना ..बहुत सुन्दर.
बेहतरीन शब्‍द रचना| धन्यवाद|
mridula pradhan said…
हर इन्सान में जज्बा है
सच बोलने का फिर भी
वो झूठ से बचा नहीं है |
bahot sahi kaha......
हर इन्सान में जज्बा है
सच बोलने का फिर भी
वो झूठ से बचा नहीं है |

koi jhuntha khud ko gunahgar nahi kahta......
दीप्ति जी बहुत सुंदर कविता बधाई और शुभकामनाएं |
mayamrig said…
इन रचनाओं में भावनाओं का स्‍पर्श है और जीवन का खिंचाव भी, हालांकि अनुभूतियां अपने एकांतिक अनुभवों से उपजी दिखती हैं लेकिन कहीं कहीं वह एकांतिकता का अतिक्रमण कर व्‍यापक होने के लिए भी व्‍यग्र दिखाई देती हैं। इन रचनाओं का प्राण तत्‍व उनकी अभिव्‍यक्ति से अधिक अनुभूति की तीव्रता में निहित है। बधाई।
Shah Nawaz said…
आप अपनी रचनाओं में विषय और शब्दों का चयन बहुत ही खूबसूरत तरीके से करती हैं... बेहतरीन!
vikas chaudhary said…
khata to jb ho, ki hm haale dil kisi se kahe .
kisi ko chahte rhna,koi khata to nhi?

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