तुम्हारी इजाजत

मस्त अदाओ से सराबोर तुम्हारी जुल्फ चेहरे से हटाऊँ क्या तुम्हारी ये इजाजत है ये सुहाने मौसम की नजाकत है | जाहिल जमाना करे इंकार पर पायलो की झंकार की मोहब्बते दिल में इबादत है ये सुहाने मौसम की नजाकत है | इख़्तियार तेरा जो दिल में है सोच उसे में लुत्फ़ उठाऊँ क्या तुम्हारी ये इजाजत है ये सुहाने मौसम की नजाकत है | चुनरी में छुपे उस चाँद के यहाँ आने की कुछ आहट है सोच तुम्हे चारो दिशाओ में मैं तुम्हारे ही गीत गाऊं क्या तुम्हारी ये इजाजत है ये सुहाने मौसम की नजाकत है | - दीप्ति शर्मा