इक तारा
मैं इक तारा हूँ और
टूटकर बिखर गया हूँ |
कभी चमका करता था ,
हँसता था आसमां मे ,
आज किसी की ख़ुशी के लिए
अपना वजूद खोकर
जमीं पर उतर गया हूँ ,
टूटकर बिखर गया हूँ |
दे दिया है सब कुछ
पर मिला तो कुछ नही है ,
उसकी तमन्ना पूरी करने ,
आसमां से गिर गया हूँ ,
टूटकर बिखर गया हूँ |
जब देखा था उसने
कुछ उम्मीद लिए मुझे ,
आंसू जो बह रहे थे उसके
उन आंसुओ की खातिर
मैं जमीं से मिल गया हूँ |
टूटकर बिखर गया हूँ |
- दीप्ति
टूटकर बिखर गया हूँ |
कभी चमका करता था ,
हँसता था आसमां मे ,
आज किसी की ख़ुशी के लिए
अपना वजूद खोकर
जमीं पर उतर गया हूँ ,
टूटकर बिखर गया हूँ |
दे दिया है सब कुछ
पर मिला तो कुछ नही है ,
उसकी तमन्ना पूरी करने ,
आसमां से गिर गया हूँ ,
टूटकर बिखर गया हूँ |
जब देखा था उसने
कुछ उम्मीद लिए मुझे ,
आंसू जो बह रहे थे उसके
उन आंसुओ की खातिर
मैं जमीं से मिल गया हूँ |
टूटकर बिखर गया हूँ |
- दीप्ति
Comments
dil ko na bekarar kr.
subah jaroor aayegi,
(tu)subah ka intejar kr.
sundr ati sunder
आसमां से गिर गया हूं
टूटकर बिखर गया हूं..
दोस्त ,
क्यों होती है ऐसों की तम्न्ना जिनकी तमन्ना पूरी करने के लिए कोई मिट जाता है , बिखर जाता है..
पर ऐसा होता है सबके साथ..
ऐसे ही एक टूटे हुए की गुहार पेश है
भरा हुआ गर पर्स आपका
मीठा है स्पर्श आपका
चलने के पहले ही फिसले
कितना चिकना फर्श आपका
टोपी गिर जाती दर्शक की
इतना ऊंचा अर्श आपका
ले डूबा जाने कितनों को
तभी हुआ उत्कर्ष आपका
‘जाहिद’ की आ गई है शायद
चेला है इस वर्ष आपका
21.11.10
abhaar..!
टूटे हुए तारे बिखर जाते हैं
आसमां से गिर गया हूं
टूटकर बिखर गया हूं..
बेहतरीन अभिव्यक्ति....
प्रेमरस.कॉम
blog par aane ke liye bahut bahut dhnyvaad
बहुत सुन्दर ......किसी ह्रदय की व्यथा का तारे के साथ जोड़ना.....बहुत खूब....बिम्ब का बखूबी और सुंदर इस्तेमाल किया है आपने.....शुभकामनाये |
Bahut hee khoobsoortee se likha hai aapne!Toote sitare kee tarah bikhara hua wajood!Wah!
अच्छी रचना बन पढ़ी है .. अछे भाव हैं ...
बहुत ही सुन्दर काव्य
लगी रहो।
Awesome lines !!!
when are you going to publish ur own book....
you are too good !!!!
Be continue........
wish you all the best !!!!
कमाल की रचना है यह ....शुक्रिया
चलते -चलते पर आपका स्वागत है
सामान्य सी कविता है किन्तु
भाव सुन्दर हैं
बहुत सुन्दर प्रयास.
पर मिला तो कुछ नही है ,
उसकी तमन्ना पूरी करने ,
आसमां से गिर गया हूँ ,
टूटकर बिखर गया हूँ
क्या बात है दीप्ति जी. बहुत सुन्दर.
apna aashish yuhi banaye rahe
dhanyvad
चलो इसी बहाने गलती को लेकर ही सही गलती से आप मेरे ब्लॉग पर तो आई!ब्लॉग पर आने के लिए शुक्रिया ................
बहुत ही खुबसूरत रचना...
माफ़ कीजियेगा थोड़ी देर हो गयी आने में...
I appreciate those who say their heart issues by jotting down their freaks rather than wetting their cheeks........Congrts...taare fanaa na hon to abhilasha adhuri na rah jaye?
- David