संस्मरण
बच्चे कितनी जल्दी समझदार हो जाते हैं, अब लगता है सब समझने लगा है क्या अच्छा क्या बुरा
बहुत बातें हैं धीरे धीरे एक एक कर बताऊँगी
आज एक किस्सा
पुराना है एक साल पर बताना जरूरी लगा
जे.एन.यू के प्रेसिडेंट चुनाव का माहौल था गुन्नू की उम्र ढाई साल
हम रास्ते पर चल रहे हैं जनाब के प्रश्न खतम नहीं हो रहे कभी झिंगुर की आवाज तो कभी कोई पेड़ उसके आश्चर्य का कारण बन रहे तभी रास्ते पर एक बड़ा कॉकरोच अधमरा पड़ा हुआ था उसे देख गुन्नू बैचेन हो गया बोला मम्मा इसे क्या हुआ है
मैं बोली लग रहा कोई इस पर पैर रखकर चला गया है ये घायल है गुन्नू को घायल होने का मतलब समझ में आता था शायद उस समय तभी तपाक से बोला इसे घर ले चलो, डॉक्टर के पास लेकर जायेंगे , बहुत समझाया पर नहीं माना
वहाँ कुछ लोग खड़े ये सब देख रहे हँस रहे कि बच्चा कैसी जिद्द किये जा रहा है उनमें से कुछ ने समझाया पर ये लड़का नहीं माना
तब एक लड़की आयी मैं उसको नहीं जानती थी उसने बस इतना कहा छोटू आप जाओ इसको मैं ले जाती हूँ डॉक्टर के पास
तब जाकर छोटे नवाब माने और घूम फिर कर घर वापस आये....
शेष फिर ......
Comments
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुंदर प्रस्तुति।