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Showing posts from 2017

कुछ नोट्स

आज का दिन और गुन्नू सुबह सुबह मैं- गुन्नू गुड मॉर्निंग उठ जाओ गुन्नू- मम्मी सोई सोई प्लीज मैं - किसने बताया कि प्लीज भी बोलना है 'गुन्नू हँसते हुए दूसरी ओर मुँह कर लेट गया' थोड़ी ...

कुछ नोट्स

गुन्नू- मम्मी मम्मी मम्मी मैं - हाँ क्या हुआ? गुन्नू-  मम्मी आओ बैठें मैं- काम कौन करेगा फिर गुन्नू- हूट हूट मैं- अब ये क्या है गुन्नू- आऊल{ ऊल्लू हूट हूट बोलता है } फिर अचानक भागता ...
किसी की आत्मा के मर जाने से अच्छा उसका खुद मर जाना है क्योंकि इंसानियत रहेगी तभी इंसान भी बचा रहेगा। #दुनिया के फेर में फँसी दीप्ति
मुस्कुरा रही हूँ मैं तभी तुम कहते हो हँस रहा हूँ मैं भी पर ! तुम्हारे हँसने और मेरे मुस्कुराने में बहुत अंतर है, एक स्त्री का मुस्कुराना तुम समझ नहीं सकते। #मन की बात करती दीप...
कल खाना बनाते हाथ जला तो यूँ ही कुछ लिखा हाथ का जलना क्रिया हुयी या प्रतिक्रिया ! सोच रही हूँ कढाही में सब्जी पक रही गरम माहौल है पूरी सेंकने की तैयारी आटा गूँथ लिया, लोई मसल ब...
पर्वत पिघल रहे हैं घास,फूल, पत्तीयाँ बहकर जमा हो गयीं हैं एक जगह हाँ रेगिस्तान जम गया है मेरे पीछे ऊँट काँप रहा है बहुत से पक्षी आकर दुबक गये हैं हुआ क्या ये अचानक सब बदल रहा प...
रोटी सिकने के दौरान, चूल्हे में राख हुई लकड़ी का दर्द कोई नहीं समझता, बस दिखता है तो रोटी का स्वाद। ( #जिन्दगी का सच )

वो रेल वो आसमान और तुम

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रेल में खिडकी पर बैठी मैं आसमान ताक रही हूँ अलग ही छवियाँ दिख रही हैं हर बार और उनको समझने की कोशिश मैं हर बार करती कुछ जोड़ती, कुछ मिटाती अनवरत ताक रही हूँ आसमान के वर्तमान को ...
यादों की नदी,बातों का झरना सदियों से साथ बहते,झरते पर अब झरना सूख गया, नदी का वेग तीव्र हो गया, जिसमें कश्तियाँ भी डूब जाती हैं। (बस यूँ ही ,जिंदगी सच) # हिन्दी_ब्लॉगिंग

शोषित कोख

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उस बारिश का रंग दिखा नहीं पर धरती भींग गयी बहुत रोई ! डूब गयी फसलें नयी कली , टहनी टूट लटक गयीं आकाश में बादल नहीं फिर भी बरसात हुई रंग दिखा नहीं कोई पर धरती कुछ सफेद ,कुछ लाल हुई ...