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Showing posts from August, 2013

कीमत

बंद ताले की दो चाबियाँ और वो जंग लगा ताला आज भी बरसों की भाँति उसी गेट पर लटका है चाबियाँ टूट रहीं हैं तो कभी मुड़ जा रहीं हैं उसे खोलने के दौरान । अब वो उन ठेक लगे हाथों की मेह...
पुरानी यादों के स्मृतिपात्र भरे रहते हैं भावनाओं से जिन पर कुछ मृत चित्र जीवित प्रतीत होते हैं और दीवार पर टँगी समवेदनाओं को उद्वेलित करते हैं । और एक काल्पनिक कैनवास पर ...

तुम और मैं .

मैं बंदूक थामे सरहद पर खड़ा हूँ और तुम वहाँ दरवाजे की चौखट पर अनन्त को घूँघट से झाँकती । वर्जित है उस कुएँ के पार तुम्हारा जाना और मेरा सरहद के पार उस चबूतरे के नीचे तुम नहीं ...

सिर्फ एक झूठ

आज डायरी के पन्नें पलटते हुये एक पुरानी कविता मिली.... लिजिये ये रही.. अगाध रिश्ता है सच झूठ का सच का अस्तित्व ही समाप्त हो जाता है सिर्फ़ एक झूठ से । अपरम्पार महिमा है झूठ की चे...

मुझे याद करोगे

हर राह हर कदम मेरे इंतज़ार में थाम लोगे ज़ज़्बात हर सहर में अपने तुम मुझे याद करोगे । सूनी रातों में आँखों में जो अश्क लाओगे तो उदास चेहरे में तुम मुझे याद करोगे । हर रात हर प...

गुलाम हूँ मैं पीढ़ियों से..

रोज की तरह आज भी सूरज अस्त हो गया और आँखमिचोली करता उसी पहाड़ी के पीछे छुप गया, वो परछाईं भी तो धुँधली सी पड़ गयी है या शायद मेरी नजर, एक वक्त के बाद पर वो आवाज़ अब भी गूँजती है व...