एक पुरानी रचना मच्छर वो गुनगुनाना तुम्हारा मेरे कानों के आस पास और मेरा तुम्हें महसूस करना कभी दिन तो कभी साँझ हर पहर तुम्हारी आवाज़ जो गूँजती रहती कानों में जो सोने तक नह...
दीवार पर टँगे कैनवास के रंगों को धूल की परतें हल्का कर देती हैं पर जिंदगी के कैनवास पर चढ़े रंग अनुभव की परतों से दिन प्रति दिन गहरे होते जाते हैं । - deepti sharma