जाना चाहती हूँ

मैं हूँ छोटी सी पर अब बड़ी होना चाहती हूँ | उस मत्स्यालय से बाहर निकल अपनी दुनिया में जाना चाहती हूँ| दिखावे के प्रेम को त्याग कर अपनी मर्जी से जीना चाहती हूँ | अब मैं जी भर तैरना चाहती हूँ अपनी दुनिया में जाना चाहती हूँ | हैं मेरे अपने जहाँ हैं मेरी खुशिया वहां मैं उनके साथ जीना चाहती हूँ | कैद से आजाद हो मैं उन अपनों से मिलना चाहती हूँ मैं अपनी दुनिया में जाना चाहती हूँ| - दीप्ति शर्मा