मैं जी रही हूँ प्रेम अँगुली के पोरों में रंग भर दीवार पर चित्रों को उकेरती तुम्हारी छवि बनाती मैं रच रही हूँ प्रेम रंगों को घोलती गुलाबी, लाल,पीला हर कैनवास को रंगती तुम्ह...
जब मैं प्रेम लिखूंगी
अपने हाथों से,
सुई में धागा पिरो
कपड़े का एक एक रेशा सिऊगी
तुम्हारे लिये
मजबूती से कपड़े का
एक एक रेशा जोडूंगी
और जब उसे पहनने को बढ़ेगे
तुम्हा...