Posts

Showing posts from September, 2014
राजपथ पर चलती मैं अकेली धूप से बचती छतरी ओढे चली जा रही हूँ धूप की तेज़ किरणें छतरी को पार कर मुझे जला रही हैं और मैं सुकडती चली जा रही हूँ , वहीं पास से लोगों का हूजूम निकल रहा ह...