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कविता

प्रेम की चिट्ठियों ! तुम्हारे शब्द मेरे रक्त का वेग हैं जो मेरे भीतर जन्म-जन्मातर तक प्रवाहित होते रहेंगे मष्तिष्क की लकीरों से आँखों की झुर्रियों तक का सफर तय किया है सा...