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Showing posts from July, 2018
रात के पलछिन और तुम्हारी याद वो बरसात की रात कोर भीग रहे, कुछ सूख रहे कँपते हाथ पर्दा हटा देख रहे चाँद जैसे दिख रहे तुम हँस रहे तुम गा रहे तुम उस धुन और मद्धम चाँदनी में खो रही ...