याद आये रात फिर वही

अहद तेरा यूँ लेकर दिल में याद आये रात फिर वही बदगुमान बन तेरी चाहत में अपने हर एहसास लिये मुझे याद आये रात फिर वही अनछुये से उस ख़्वाब का बेतस बन पुगाने में मुझे याद आये रात फिर वही उनवान की खामोशी में सदियों की तड़प दिखे और याद आये रात फिर वही तेरे ख़्यालों में खोयी ये जानती हूँ तू नहीं आयेगा फिर भी मुझे, याद आये रात फिर वही याद आये बात फिर वही । © दीप्ति शर्मा