जिन्दगी

रात के अँधेरे साये में वो चिडचिडाती रौशनी कभी राह दिखाती है तो कभी बस आँखों में चुभती सी नजर आती है | यक़ीनन उस रौशनी के भीतर कोई ख्वाब , कोई उम्मीद है जो पल पल जलती है , पर उसी वेग से जगती भी जाती है | अथाह मन में उत्पन्न हर बात और विचित्र विडंबनाओ से जूझती जिन्दगी , क्या कोई उम्मीद पूरी कर पायेगी या इस रौशनी में इसकी चमक फीकी पड़ जाएगी| अद्रीश की तरह ऊँचाई का कोई मुकाम पा मेरी जिन्दगी आज किसी तारे की तरह आकाश में टिमटिमाएगी या धूमिल हो कोई अकस बन रह जाएगी | हर एक चाह की तपिश में तप, मेरी उम्मीद एक नयी राह दिखाएगी | कभी रौशनी में जिन्दगी पिलकायी जाएगी तो कभी दिल की गहराई से नापी जाएगी | साथ ले अपना अक्स बस चलती ही जाएगी | कभी आत्मा को झकझोर देगी तो कभी पत्थरो से टकरा उड़ती चली जाएगी | कभी अपनी मुस्कान में खुद को जान उस उम्मीद को पहचानने की आस से उसका असर देखेगी , तो कभी हर एहसास के साये ...