मेरी कहानी
वो किस्सा था या कहानी थी
बात थी दिल की जो कि,
बस दो लफ्जो में बतानी थी |
कही जो बात दिल से थी वो
कुछ बाते बड़ी रूमानी थी\
हाल-ये-दिल उल्फत में,
बयां कर गया कुछ बातें
वो कुछ लम्हों कि निशानी थी|
जब राहें बनाये थी मैंने |
सहारा ले कुछ पत्थरों का
वो राहें भी तो अनजानी थी|
मुकद्दर था ही नही रौशन ,
तभी तो वो दिल कि बातें
मेरी तबाही कि निशानी थी
अंगारे बन गये वो बाते
बातों भरी वो मेरी कहानी थी |
बात थी दिल की जो कि,
बस दो लफ्जो में बतानी थी |
कही जो बात दिल से थी वो
कुछ बाते बड़ी रूमानी थी\
वो अंदाजे वफ़ा जो कभी,
शिखर तक उसकी जुबानी थी|हाल-ये-दिल उल्फत में,
बयां कर गया कुछ बातें
वो कुछ लम्हों कि निशानी थी|
जब राहें बनाये थी मैंने |
सहारा ले कुछ पत्थरों का
वो राहें भी तो अनजानी थी|
मुकद्दर था ही नही रौशन ,
तभी तो वो दिल कि बातें
मेरी तबाही कि निशानी थी
अंगारे बन गये वो बाते
बातों भरी वो मेरी कहानी थी |
दीप्ति शर्मा२००९
Comments
ati sundar kavita ....
बहुत अच्छा लिखती हैं आप
बस यूँ ही हिन्दी साहित्य की सेवा करते रहिये ।
शुभकामनाएँ ।
ths is very nice.........
actually savi itne aache hai ki mein kya tarrif karoooo thoda muskil hai yar..........
u r fabulous.......
बाकी बाद में पढूंगी ..
i pray God,to achive whole prosperity of your life which u want,....>>>