तुम आओगे ना ??
अहसासों के दरमियां मेरे ख़्वाबों को जगाने जब तुम आओगे ना कुछ शरामऊँगी मैं धडकनों को थामकर कुछ बहक सा जाऊँगी मैं मुझे बहकाने तुम आओगे ना ???? इठलाती सी धूप में रूख पर नक़ाब गिराने जब तुम आओगे ना तेज़ किरणें शरमा जायेंगी तुम्हारे अक्स के आ जाने से मेरी परछाई को ख़ुद में समाने तुम आओगे ना ???? अकेलेपन में भींगी आँखों के आंसूओं को पोंछने जब तुम आओगे ना एक मुस्कान खिल जायेगी कुछ किस्से सुनने भटकती इस ज़िंदगी में मुझे अपना बनाने आरजुओं को जगाने तुम आओगे ना ???? दो नहीं एक ही है हम इस हौसले को बढ़ाने जब तुम आओगे ना चाँद की चाँदनी तेज़ हो अपना तेज़ फैलायेगी उसकी रौशनी मुझ तक आकर तेरा अहसास करायेगी अहसास कराने अपना तुम आओगे ना ???? कह दो एक बार तुम आओगे ना ???? तुम आओगे !!!!! दीप्ति शर्मा