रोटी सिकने के दौरान,
चूल्हे में राख हुई लकड़ी का दर्द
कोई नहीं समझता,
बस दिखता है तो
रोटी का स्वाद।
( #जिन्दगी का सच )
बस यूँ ही
डूब रहा सूरज वहाँ पीछे ओट लिए, और मैं एकटक देखती रही कि जैसे तुम छुप गये हो कहीं पीछे, लाल लालिमा में कैद मुस्कुराते से। #बसयूँही #दीप्तिशर्मा
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