उसने कहा था
आज गुलाब का दिन है
न गुलाब लेने का 
न देने का, 
बस गुलाब हो जाने का दिन है
आज गुलाब का दिन है
उसी दिन गुलाब सी तेरी सीरत से
गुलाबी हो गयी मैं ।
- दीप्ति शर्मा

Comments

yashoda Agrawal said…
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 08 फरवरी 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
बहुत सुंदर सृजन।
बहुत सुंदर सृजन।
बहुत सुंदर सृजन।

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