ए बसंत तेरे आने से

ए बसंत तेरे आने से
नाच रहा है उपवन
गा रहा है तन मन
ए बसंत तेरे आने से ।

खेतों में लहराती सरसों
झूम रही है अब तो
मानो प्रभात में जग रही है
ए बसंत तेरे आने से ।

चिड़िया भी चहकती है
भोर में गीत गाती है
घर में खुशियाँ आती हैं
ए बसंत तेरे आने से ।

खिल गयी सरसों
बिखर गयी खूशबू
मनमोहक हो गया नज़ारा
ए बसंत तेरे आने से ।
,,,"दीप्ति शर्मा "

Comments

सुंदर... वसंत की मांगल कामनाएँ
सुन्दर अभिव्यक्ति......
सुन्दर बसन्त उद्गार..
बंसतोत्‍सव की अनंत शुभकामनाऍं
Unknown said…
इस दुनिया में टहलते हुए यूँ ही आपकी रचना से मुलाकात हो गयी....
कुछ अपनी तरफ से अर्ज़ कर रहा हूँ.. गौर जरुर फरमाइयेगा.....
के "शब्दों का सादापन बहुत कुछ कह रहा है,
गूँज तो नहीं रहा परन्तु किसी मद्धिम दिए सा प्रस्फुटित हो रहा है...
कोमल अहसास खुद में समोए हुए......"
Unknown said…
इस दुनिया में टहलते हुए यूँ ही आपकी रचना से मुलाकात हो गयी....
कुछ अपनी तरफ से अर्ज़ कर रहा हूँ.. गौर जरुर फरमाइयेगा.....
के "शब्दों का सादापन बहुत कुछ कह रहा है,
गूँज तो नहीं रहा परन्तु किसी मद्धिम दिए सा प्रस्फुटित हो रहा है...
कोमल अहसास खुद में समोए हुए......"
Anonymous said…
bahut khoob
sundar rachna
http://drivingwithpen.blogspot.com/
Shah Nawaz said…
ब्लॉग बुलेटिन पर की है मैंने अपनी पहली ब्लॉग चर्चा, इसमें आपकी पोस्ट भी सम्मिलित की गई है. आपसे मेरे इस पहले प्रयास की समीक्षा का अनुरोध है.

स्वास्थ्य पर आधारित मेरा पहला ब्लॉग बुलेटिन - शाहनवाज़
Pradeep said…
नव वसंत की छटा मंगलमय हो ..
dinesh aggarwal said…
बसंत रितु का सुन्दर चित्रण...
कृपया इसे भी पढ़े
नेता,कुत्ता और वेश्या

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