मेरी जिंदगी

मिली थी कभी
जिंदगी मुस्कुराकर |
मेरा साथ दे 
ख्वाबो में समाकर |
अपने अश्को को 
मेरी आँखों से बहाकर |
ख़ामोशी से अपनी 
मुझे तड़पाकर|
चली गयी वो 
कहना तो चाहती थी
पर खामोश हो
गयी मुझे रुलाकर|

Comments

ZEAL said…
Beautiful creation . !
UNBEATABLE said…
Tumhaare shabdo mei saadgi hai ...... aur bhavarth mei gehraaiii .... Bahut khoob dear ..... Lajawab
SANSKRITJAGAT said…
बहुत ही मार्मिक भावनाएँ

हर शब्‍द में गहराई
हर पंक्ति अपने आप में एक कविता सी है
बहुत खूब
शुभकामनाएँ
kumar zahid said…
मिली थी कभी जिंदगी मुस्कुराकर |
खयालों को नींदों में सपने बनाकर।

मेरे अश्क थे उसकी आंखों में गोया
वो बैठे हैं शायद जहन में समाकर

दीप्ति ,
बधाई !
टिप्पणी करने चला तो आपकी कविता को ही लिख बैठा थोड़ा सा घुमाकर।
इजाजत है न ?
ARUN said…
Vichar ache hai--------
दीप्ति जी
नमस्कार !
आपकी कुछ रचनाएं पढ़ी हैं , अच्छे प्रयास कर रही हैं ।
और श्रेष्ठ लिखने की शुभकामना के साथ मेरी चंद पंक्तियां आपके लिए …

दूसरों के अश्क… अपनी आंख से बहने भी दे !
अपने दिल को… दूसरों के दर्द तू सहने भी दे !
दुनिया दीवाना कहे… तुझको , तू मत परवाह कर ;
रास्ते अपने तू चल… कहते , उन्हें कहने भी दे !!


- राजेन्द्र स्वर्णकार
खामोशिया भी कई बार रुला रुला जाती है...
Amit Chandra said…
deepti ji bahut hi damdar rachna
deepti sharma said…
aap sabhi ko bahut bahut dhanybat
mujhe yese hi protsahan dete rahe
dhanybad
Unknown said…
wow deepti fantastic keep it up dear.............
दीप्ति जी
नमस्कार !
आपकी कुछ रचनाएं पढ़ी हैं ,
आप बहुत अच्छा लिखती हैं और गहरा भी.
बधाई.
Anonymous said…
जिंदगी तो मिलती है हमेशा मुश्कुरा कर ,
पर जाने कहाँ चाकी जाती है हमें रुलाकर
आप की कविता में सच्चाई है
जिंदगी तो मिलती है हमेशा मुश्कुरा कर , पर जाने कहाँ चाकी जाती है हमें रुलाकर आप की कविता में सच्चाई है
RINKU DADA (pRADIP dubey)
Kiran said…
bahut hi khoobsurat
Kiran said…
beautiful lines
Kailash Sharma said…
बहूत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति...
Unknown said…
कभी उजालों की धूप कभी ग़मों की शाम...ज़िन्दगी का फलसफा..ज़िन्दगी के नाम.....
बेहतरीन अभिवयक्ति..........

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