मेरी परछाई




वो कैसी आह की परछाई हैं
मैंने खुद को लहरों मे डुबो, 
तूफानों से ये कश्ती बचायी है |
जिस पर अब तक सम्भल
मेरी जिंदगी चली आई है |
हैं राहें कश्मकस भरी ,
अजनबी लोगो में रह किस 
तरह बात समझ पाई है |
मुददत से अकेली हूँ मैं ,
तमन्नाये जीने की मैने तो 
ये बाजी खुद ही गंवाई है |
वो गैरों के भरोसये शौक में
आह में डूब ढलती हुई ,
फिरती वो मेरी ही परछाई है |
- दीप्ति शर्मा 

Comments

UNBEATABLE said…
वाह वाह .... बहुत खूब .... शब्दों को सुन्दरता से पिरोया है ... बहुत भावनात्मक रचना .... दिल की गहराईओं से लिखी गयी ... सुन्दर
haath badhaao perchhaain ko le lo apne saath , badh jao aage ... akelapan kaisa
सदा said…
सुन्‍दर भावमय करते शब्‍द ।
बहुत बढ़िया भावाभिव्यक्ति
दीप्ति जी
बहुत सुन्दर रचना लिखी .
एक अच्छी अभिव्यक्ति .......क्या खूब लिखा है!
आप बहुत अच्छा लिखती हैं...वाकई.... आशा हैं आपसे बहुत कुछ सीखने को मिलेगा....!!
विशाल said…
सरल शब्दों में सरस अभिव्यक्ति.
शुभ कामनाएं
अत्यंत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति! लाजवाब!
सारी रचनाये आपकी बहुत ही अच्छी है|
संग फिरे है वह परछाँई,
लम्बी फैल गयी परछाई।
बहुत सुंदर.... भावपूर्ण प्रस्तुति....
मुददत से अकेली हूँ मैं ,
तमन्नाये जीने की मैने तो
ये बाजी खुद ही गंवाई है |

waaaahhhhhhhh
Dr Varsha Singh said…
सुन्दर और भावपूर्ण कविता । बधाई।
एक-एक शब्द भावपूर्ण ..... बहुत सुन्दर...
शब्द सुमन-सा सज गया रचना भाव-प्रधान।
परछाईं से हो गयी दीप्ती की पहचान।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
बहुत सुंदर भाव ..और आत्मविश्वास से भरे हुए ...शुक्रिया
सरल शब्दों में सरस अभिव्यक्ति|
Kunwar Kusumesh said…
भावपूर्ण सुन्दर अभिव्यक्ति..........वाह वाह ,क्या बात है.
Bharat Bhushan said…
आह में डूब ढलती हुई
फिरती वो मेरी ही परछाई है
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति.
वाह दीप्ती जी बेहतरीन भावाभिव्यक्ति ने मान प्रसन्न कर दिया |
बधाई एवं आभार !!
very nice configuration of thoughts..
Minakshi Pant said…
बहुत से एहसासों को उजागर करती प्यारी सी रचना !
बहुत भावनात्मक रचना .... दिल की गहराईओं से लिखी गयी ... सुन्दर
Anonymous said…
दीप्ति,

मेरी टिप्पणी कहाँ गयी?
अच्‍छी और भावपूर्ण रचना। बधाई हो आपको।
प्रेम को लेकर मेरी एक पोस्‍ट पर नजर डालें और अपने विचार वहां रखें तो अच्‍छा लगेगा।
deepti sharma said…
imran ji
yaha se kuch comment apne aap delete ho gye
mujhe nhi pata
mai kosis kar rahi hu ki
mujhe pata chal jaye
दीप्ति जी
बहुत सुन्दर रचना लिखी!


आपको हेप्पी वेलन्टाईन डे की हार्दिक शुभकामनायें
...स्वीकार करें
शुभकामनायें आपको !!
Udan Tashtari said…
अच्छी अभिव्यक्ति .
खुद में गुम अपना साया.
Ravi Rajbhar said…
wah-2
dil bag-2 hogya yahan akar.
aapke shabdo me jo wajan hai uska koi jabab nahi.

aap hamare blogg par bhi padhare.

Thanx
OM KASHYAP said…
बहुत सुन्दर रचना...........
अच्छी अभिव्यक्ति ..........
ANAL KUMAR said…
दीप्ति जी, आपकी कविताएँ पढ़ता रहा हूँ और यह देख कर चकित होता रहा हूँ कि कम उम्र में भी आपने अपनी कविताओं में जीवन की सहजता को किस समग्रता में गूंथा है | मुझे लगता है कि यह कविताओं में आपकी आगध-आस्था ही है जिनमें जीवन की विविधतापूर्ण स्थितियां संवेदनात्मक रूपमें अभिव्यक्त होती हैं |
Wah, sundar bawon ko aapne shabdon men badi hi khubsurati se piroya hai !
दीप्ति जी
सस्नेहाभिवादन !

खुद को लहरों मे डुबो,
तूफानों से ये कश्ती बचाई है

व्यष्टि के उत्सर्ग द्वारा समष्टि की रक्षा का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत हुआ है आपकी रचना में … आभार !

नेट की समस्या के कारण
दो दिन विलंब से ही …
प्रणय दिवस की मंगलकामनाएं ! :)
♥ प्रेम बिना निस्सार है यह सारा संसार !

बसंत ॠतु की भी हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
Anonymous said…
"खुद को लहरों मे डुबो,
तूफानों से ये कश्ती बचाई है"

शुभ आशीष
यह तो बहुत सुन्दर लिखा आपने....बधाई.


______________________________
'पाखी की दुनिया' : इण्डिया के पहले 'सी-प्लेन' से पाखी की यात्रा !
बहुत सुन्दर भावनात्मक रचना !
बेहतर!!!लगे रहिए।
Rajeysha said…
और कि‍सी को साथ लेने से पहले ये जरूर पढ़ना

http://rajey.blogspot.com/ पर
Mithilesh dubey said…
अत्यंत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति!
Anonymous said…
BAHUT BADHIYA .....
JAGDISH BALI said…
Superb post. Following u.visit my blog.
sumeet "satya" said…
badhiya........khubsurat abhivyakti

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