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कोई तो होगा
नयन
वरालि सी हो चाँदनी लज्जा की व्याकुलता हो तेरे उभरे नयनों में । प्रिय विरह में व्याकुल क्यों जल भर आये? तेरे उभरे नयनों में । संचित कर हर प्रेम भाव प्रिय मिलन की आस है तेरे उभरे नयनों में । गहरी मन की वेदना छुपी बातों की झलक दिखे तेरे उभरे नयनों में । वनिता बन प्रियतम की प्रिय के नयन समा जायें तेरे उभरे नयनों में । © दीप्ति शर्मा
Comments
शुभकामनाएं......
निरंतर प्रगति करती रहें.....
सादर
और शुभकामनाये ....
:-)
आपके इस खूबसूरत पोस्ट का एक कतरा हमने सहेज लिया है, भिक्षावृत्ति मजबूरी नहीं बन रहा है व्यवसाय - ब्लॉग बुलेटिन , के लिए, पाठक आपकी पोस्टों तक पहुंचें और आप उनकी पोस्टों तक, यही उद्देश्य है हमारा, उम्मीद है आपको निराशा नहीं होगी, टिप्पणी पर क्लिक करें और देखें … धन्यवाद !
रचनात्मकता बनी रहे....लेखनी अनवरत चलती रहे...
शुभकामनाएं दीप्ति जी.
अनु
मेरी नयी पोस्ट:- जानिए पिक्सल क्या होता है?