मैं आ गयी हूँ लौटकर
मैं आ गयी हूँ लौटकर
अहसासों के दामन में
कुछ अनछुए पहलुओं
को आजमाकर उन्हें
जिन्दगी का हिस्सा बनाने
मैं आ गयी हूँ लौटकर |
कुछ बातें अनकहीं
कुछ बातें अनसुनी
हर जज्बात सुनाने
मैं आ गयी हूँ लौटकर |
दूर थी मैं अपनों से
उन अपनों का साथ पाने
कुछ किस्से सुनने और
कुछ सबको बताने
ख्वाहिसों को बटोरकर
मैं आ गयी हूँ लौटकर |
- दीप्ति शर्मा
Comments
सुन्दर कविता.
bahut achchee kavita.
'सी.एम.ऑडियो क्विज़'
हर रविवार प्रातः 10 बजे
कुछ तो है :-))
शुभकामनाएं
बहुत सुंदर ...आपकी लेखनी में दम है जी
मैं आपको फोल्लो कर रहा हूँ
मुझे भी करेगे /
मेरे दुसरे ब्लॉग पर भी जाए //
२१ वी सदी का इन्द्रधनुष
99739-27974
behtareen!
जाने का अंदाज भी भाया था और फिर आने का भी.
नव वर्ष की मंगलकामनायें
सुन्दर रचना के लिए आपका आभार.
साधुवाद.
or nav varsh ki badhayi
dhanyvad
स्वागत है दीप्ती .
स्वागत है आपका......उम्मीद है आपकी परीक्षाएं अच्छी हुई होंगी....शानदार पोस्ट से आगाज़ किया है आपने.....शुभकामनायें|
लौट आईं वो भी अपनों में ,इस से ज़्यादा सुखद क्या होगा
पिछली ख़ूबसूरत यादों और इस सुखद एहसास को सहेज लीजिये
सुंदर अभिव्यक्ति
and happy new year
अब जाईयेगा नहीं :)
बहुत ही बढ़िया लगी आपकी कविता.
सुन्दर लेखन के लिए शुभकामनायें !!
गौरव शर्मा "भारतीय"