मैंने तुम्हारे पसन्द की चूल्हे की रोटी बनायी है वही फूली हुयी करारी सी जिसे तुम चाव से खाते हो और ये लो हरी हरी खटाई वाली चटनी ये तुम्हें बहुत पसन्द हैं ना !!! पेट भर खा ल...
ये आँसू नहीं हैं पागल
किसने कहा तुमसे?
कि मैं रोती हूँ
अब मैं नहीं रोती
मेरे भीतर बरसों से जमी
संवेदनाएँ पिघल रही हैं
धीरे धीरे भावनाएँ रिस रही हैं
खून जम गया है
और म...