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Showing posts from June, 2014

तुम

मैंने तुम्हारे पसन्द की चूल्हे की रोटी बनायी है  वही फूली हुयी करारी सी  जिसे तुम चाव से खाते हो  और ये लो हरी हरी  खटाई वाली चटनी  ये तुम्हें बहुत पसन्द हैं ना !!!  पेट भर खा ल...
ये आँसू नहीं हैं पागल किसने कहा तुमसे? कि मैं रोती हूँ अब मैं नहीं रोती मेरे भीतर बरसों से जमी संवेदनाएँ पिघल रही हैं धीरे धीरे भावनाएँ रिस रही हैं खून जम गया है और म...